न्यूज़ डेस्क
पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला नरसंहार कांड की यादें लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है। इसकी 100 वीं बरसी के मौके पर ब्रिटिश सरकार ने इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास में ‘शर्मसार धब्बा’ बताया।
हालाकिं, उन्होंने औपचारिक तौर पर इस मामले में माफ़ी नहीं मांगी। प्रधानमंत्री टेरेसा ने इस घटना पर खेद जताया और कहा की यह इतिहास का शर्मनाक हिस्सा बताया।
प्रधानमंत्री टेरेसा ने कहा,
‘ अमृतसर में 1919 में हुआ जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा है। इससे पहले भी 1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है।’
वहीं, ब्रिटेन में ही विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि इस घटना में जो लोग मारे गये थे वे सभी पूर्ण रुप से माफ़ी के हक़दार हैं।
ब्रिटेन के लोग पुरातनपंथी
इसके अलावा हाउस ऑफ कॉमन्स परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में आयोजित बैठक में विदेश मंत्री मार्क फील्ड ने ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ पर कहा कि हमें उन बातों की एक सीमा रेखा खींचनी होगी, जो कि इतिहास का शर्मनाक हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल को लेकर ब्रिटेन के लोग थोड़े पुरातनपंथी हैं और उन्हें पुरानीं बातों पर माफ़ी मांगने को लेकर हिचकिचाहट होती है।
पाकिस्तान की मांग
इस घटना पर माफ़ी मांगने की मांग का ट्विटर पर समर्थन करते हुए पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि ब्रिटेन इस घटना के साथ ही बंगाल के अकाल के लिए माफी मांगे साथ ही कोहिनूर हीरा लाहौर संग्रहालय को लौटाए।
उन्होंने कहा कि इस मांग का पूरी तरह समर्थन करता हूं कि ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार और बंगाल के अकाल के लिये पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश से अवश्य माफी मांगे- ये त्रासदी ब्रिटेन के चेहरे पर धब्बा हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार कोहिनूर हीरा लाहौर संग्रहालय को अवश्य लौटाए।
जाने जलियांवाला बाग का इतिहास
पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में 1919 में अप्रैल माह में बैसाखी के दिन हुआ था। इस दिन जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलीयां चला दी थी।
इस घटना में ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में 400 लोगों के मारे जाने की बात थी, लेकिन कहा यह जाता है कि इसमें एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे। मरने वालों में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे।