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Lok Sabha Election : जानें जालौन लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

जालौन पूर्वी-मध्य भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह बुंदेलखंड के मुख्य जनपदों में से एक है। यहां उरई, कौंच, कालपी आदि तहसीलें है। इनमे कालपी का विशेष महत्व है। यहां हिन्दू-मुस्लिम धर्मों के अनेक धार्मिक स्थल मौजूद है। जालौन के कालपी में नौ रत्नों में एक बीरबल का 1528 में जन्म हुआ था। बीरबल ने कालपी में अपना महल बनवाया था जो आज जर्जर हाल में है। जालौन जिले में देश भर में प्रसिद्ध आल्हा उदल के मामा माहिल का एक तालाब भी है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। जालौन के रामपुर थाने में पांच नदियों- पहुज, बेतवा, यमुना, सिंध, चम्बल का संगम होता है। यह एक रमणीय स्थल है।

उत्तर में यमुना नदी द्वारा सीमाबद्ध है। बेतवा प्रणाली सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराती है। जालौन की फसलों में गेहूं, चना व सरसों शामिल हैं। कालपी नगर के समीप बबूल के वृक्षों के बागान हैं। जालौन का प्रशासनिक मुख्यालय, उरई कानपुर के 105 किलोमीटर दक्षिण में है, जिससे वह सड़क व रेल से जुड़ा है। रामपुर कृषि उपज का व्यापारिक केंद्र है। इसके प्रमुख ग्राम बंगरा रूरा कमशेरा मिझोना निचाबदी है।

2006 में भारतीय पंचायती राज्य मंत्रालय ने इसे भारत के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल किया था। इस सूची में शामिल होने वाला यह उत्तर प्रदेश का 34 वां जिला है।

आबादी/ शिक्षा

2011 की जनसंख्या के अनुसार जालौन जिले की आबादी 1,689,974  है, जिनमें 9,06,092 पुरुष और 7,83,882 महिलाएं है। यहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 27.7 प्रतिशत है। अगर बात करे जालौन की साक्षरता दर की तो यह 73.75 प्रतिशत है।  पुरुषों की साक्षरता दर 72.12 प्रतिशत जबकि महिलाओं की

साक्षरता दर 53.8 प्रतिशत है। जालौन का औसत लिंगानुपात 865 है। शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 883 जबकि ग्रामीण इलाकों में 859 है।

वर्तमान में जालौन में कुल मतदाताओं की संख्या 1,887,189 है जिनमें महिला मतदाता 849,595 और पुरुष मतदाता की संख्या 1,037,570 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

यह सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है।  इस लोकसभा सीट में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें भोगनीपुर, माधोगढ़, कालपी, उरई और गरौठा शामिल है। इसमें उरई की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

इस सीट पर 1962 में पहला चुनाव हुआ था। 1962 से लेकर 1971 तक इस सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कब्जा रहा। जहां 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल ने कब्जा किया तो अगले चुनाव 1980 में पुन: यह सीट कांग्रेस की झोली में आ गयी। 1984 में कांग्रेस फिर इस सीट पर कब्जा करने में कामयाब रही लेकिन अगले चुनाव में यह सीट नहीं बचा पायी। जनता दल के राम सेवक भाटिया ने चुनाव में जीत हासिल की।

1991 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना खाता खोला और लगातार तीन लोकसभा चुनाव में विजय पताका फहराया। तीन चुनावों में जिस सीट पर बीजेपी का कब्जा था वह 1999 के चुनाव में उसके हाथ से निकल गई। इस सीट पर बसपा ने जीत हासिल की लेकिन अगले चुनाव में इसे बचाने में कामयाब नहीं हो सकी।

एक बार फिर यहां की जनता ने बीजेपी पर विश्वास दिखाते हुए भानु प्रताप को चुना लेकिन 2009 में नकार दिया। यह सीट सपा के खाते में चली गई लेकिन 2014 में पुन: बीजेपी अपने कब्जे में करने में कामयाब हुई।

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