- यूपी जल निगम के 24 हजार से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर्स को तीन माह से नहीं मिला सैलरी और पेंशन
- कर्मचारियों को बिना बताए काटा गया एक दिन का वेतन
न्यूज डेस्क
तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। जब हम वेतन की बात करते हैं तो हमें निगम के घाटे में चलने की बात कहकर टरका दिया जाता है। हम पाई-पाई के लिए मोहताज है और उत्तर प्रदेश जल निगम सीएम कोविड केयर फंड में लगभग 1 करोड़ 47 हजार रुएये जमा कर दिए। हमारी परेशानियों को जब अपना ही विभाग नहीं समझ रहा है तो और किसी से उम्मीद करना बेमानी है।
यह कहना है वीके पांडेय बदला हुआ नाम का। ये जल निगम में पिछले 20 साल से काम कर रहे हैं। तीन माह से सैलरी नहीं मिल रही है। घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे वक्त में जब हर कोई परेशान है, किसके आगे हाथ फैलाएं?
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जी हां, यूपी के जल निगम (वाटर कॉर्पोरेशन) ने अपने 24 हजार से ज्यादा कर्मचारी व पेंशनर्स को तीन महीने से सैलरी व पेंशन नहीं दी है। जल निगम पर सवाल इसलिए उठ रहा है कि वह तीन माह से अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सीएम कोविड केयर फंड में देने के लिए एक करोड़ 47 हजार रुएये हैं।
यूपी जल निगम ने सीएम कोविड केयर फंड में एक करोड़ 47 हजार रुपए जमा किया है और निगम की ओर से इसे फरवरी महीने का एक दिन का वेतन बताया गया। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि जब उन्हें सैलरी ही नहीं मिली, तो कैसे उससे एक दिन का वेतन का काट लिया गया।
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यूपी के जल निगम में लगभग 12,400 कर्मचारी व 12600 पेंशन धारक हैं। तीन महीने से सैलरी और पेंशन न मिलने के कारण ये लोग परेशान हैं। वहीं पेंशनर्स की ओर से सरकार को पत्र लिखकर भी मदद की गुहार लगाई गई है।
गुरुवार को सुबह-सुबह सूबे के पूर्व मुखिया अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है कि उप्र जल निगम 3 महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहा है लेकिन मुखिया जी के तथाकथित कोरोना सहायता कोष में दान दे रहा है।
उप्र जल निगम 3 महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रहा है लेकिन मुखिया जी के तथाकथित कोरोना सहायता कोष में दान दे रहा है. उधर रेलवे के पास भी दान देने के लिए तो धन है लेकिन मज़दूरों को फ़्री घर पहुँचाने के लिए नहीं.
‘कोष के दोष’— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 7, 2020
इस मामले में यूपी जल निगम कर्मचारी महासंघ के संयोजक अजय पाल सोमवंशी का कहना है कि ‘विभाग के किसी को बीते तीन महीनों (फरवरी, मार्च, अप्रैल) से कोई सैलरी नहीं मिली है, तो फिर कैसे उससे पैसा काट लिया वो भी बिना किसी जानकारी।
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वह कहते हैं, हमें कोविड फंड में एक दिन की सैलरी देने में आपत्ति नहीं है। हमें आपत्ति इससे है कि जब कर्मचारियों को ही निगम तीन महीने से सैलरी नहीं दे पा रहा है, तो कोविड केयर फंड में देने का पैसा कहां से आया और कटौती करके फंड में रकम दे दी तो फरवरी का वेतन भी तो जारी किया जाना चाहिए था।
कर्मचारियों का आरोप है कि इन लोगों से वेतन काटने से पहले कोई अनुमति नहीं ली गई। एक दिन का वेतन दान करने को लेकर कोई भी लिखित अपील नहीं की गई। ऐसे संकट के समय में किसी को दान देने से परहेज नहीं है.,लेकिन सवाल ये है कि कर्मचारी व अधिकारियों से पूछा तो जाना चाहिए। वहीं, जिस माह के वेतन से कटा उसका तो अभी तक वेतन ही नहीं मिला।
यह मामला प्रकाश में तब आया जब 27 अप्रैल को जल निगम के एमडी विकास गोठलवाल और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगभग 1.47 करोड़ का चेक सौंपा। इस राशि के बारे में कहा गया कि कर्मचारियों ने अपनी इच्छा से एक दिन का वेतन दान में दिया है।
COVID-19 के विरुद्ध लड़ाई में समाज के सभी वर्गों से आर्थिक सहयोग प्राप्त हो रहा है।
आज मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी को प्रदेश के नगर विकास मंत्री श्री @GopalJi_Tandon जी ने ‘मुख्यमंत्री का पीड़ित सहायता कोष-कोविड केयर फंड’ में ₹1,46,90,237 का चेक भेंट किया। pic.twitter.com/XNAKCBv4YB
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) April 27, 2020
दरअसल सारा बवाल इसलिए है कि कर्मचारियों को बिना बताए उनका एक दिन का वेतन काट लिया गया। जल निगम के कर्मचारी संगठनों का कहना है उन्हें तो इस बात की जानकारी भी नहीं मिली। वे इस बात से भी परेशान है कि विभाग ये मानने को तैयार भी नहीं हो रहा है। कर्मचारी संगठनों और जल निगम के एमडी के बयानों में विरोधाभाष भी दिखाई दे रहा है।
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जल निगम के एमडी विकास गोठवाल ने कर्मचारियों के इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि कोविड केयर फंड के लिए सबकी सहमति से एक दिन का वेतन काटा गया है। उनकी ओर से प्रदेश के सभी 10 जोनल इंजीनियरों को इससे संबंधित एडवाइजरी जारी की गई थी। उन्होंने अपने-अपने जोन में भी ये बात पहुंचा दी थी। कई कर्मचारी संगठनों ने भी हामी भरी थी, जिसके बाद एक दिन का वेतन कटा।
इस मामले में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन का भी यही कहना है कि उनको जल निगम द्वारा यही बताया गया कि सबकी सहमति से रकम सीएम कोविड केयर फंड में दी गई है। अब कर्मचारियों की आपत्ति की बात आ रही है जो कि वाजिब है। वह कहते हैं कि योगी सरकार उनके प्रति संवेदनशील है। उनका जल्द ही भुगतान कराया जाएगा।
इस कोरोना काल में जब हर कोई आर्थिक जद्दोजहद कर रहा है, ऐसे में कर्मचारियों को तीन माह से वेतन न मिलने पर सवाल उठ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कई कर्मचारियों ने कहा कि यह कहां का इंसाफ है। निगम सरकार को खुश करने के लिए सीएम कोविड केयर फंड में पैसे दे रही है और हम भुखमरी के कगार पर है। गरीबों को राशन, दवाइयां दी जा रही है और हमारी चिंता किसी को नहीं है।
वहीं सैलरी न देने पर एमडी विकास गोठवाल का कहना है कि सैलरी बैकलॉग पहले से चला आ रहा है.। पिछले 12 महीने में 12 बार सैलरी दी जा चुकी है। 1-2 महीने का बैकलॉग पिछले एक साल से चल रहा है, जल्द ही बाकी महीनों की भी सैलरी दे दी जाएगी।
वह कहते हैं कि सैलरी में देरी का अहम कारण जल निगम का वित्तीय नुकसान भी है। जल निगम के कर्मचारियों को काम के एवज में मिलने वाले सेंटेज (एक तरह का कमीशन) से वेतन मिलता है। लॉकडाउन के कारण डेढ़ महीने से काम प्रभावित रहा। इस कारण वित्तीय नुकसान भी बढ़ गया।
9 साल से नहीं मिला है कर्मचारियों को बोनस
यूपी जल निगम कर्मचारी महासंघ के संयोजक अजय पाल सोमवंशी कहते हैं कि बैकलॉग 1-2 नहीं, बल्कि 3 महीने का हो गया है। इसके अलावा कर्मचारियों को नौ साल से बोनस नहीं दिया गया। महंगाई भत्ता कम कर दिया गया।
वह कहते हैं, बात सिर्फ बैकलॉग की नहीं है। एमडी ने 16 अप्रैल को कोविड केयर के लिए डिमांड ड्राफ्ट बनाया और 27 अप्रैल को जमा किया। 11 दिन बाद डिमांड ड्राफ्ट के कारण उस पर लगने वाले ब्याज में 35-40 हजार का लॉस हुआ। उसकी जिम्मेदारी भी तो एमडी व आलाधिकारियों की हुई। इसकी भरपाई कौन करेगा।
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