न्यूज डेस्क
म्यांमार में रोहिंग्याओं पर हुए उत्पीड़न को दुनिया के सामने लाने वाले रॉयटर्स के दो पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार मिला है। वा लोन और क्याव सोउ ओ नाम के इन दोनों पत्रकारों को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के उल्लंघन के आरोप में म्यांमार प्रशासन ने जेल में बंद कर रखा है।
वा लोन और क्याव सोउ को 7-7 साल की सजा सुनाई गई है। मानव अधिकारों के मुद्दे उठाने वाले और प्रेस की आजादी की वकालत करने वाले दुनियाभर के कई संगठनों ने म्यांमार के इस कदम की निंदा की थी। वा लोन और क्याव सोउ अब तक 490 दिन जेल में बिता चुके हैं। रॉयटर्स लगातार उनकी रिहाई की कोशिशें कर रहा है।
रॉयटर्स के एडिटर-इन-चीफ स्टीफन जे एडलर ने कहा, ”मैं काफी खुश हूं कि वा लोन, क्याव सोउ और उनके साथियों के असाधारण और साहसी काम को सम्मान मिला। मगर मुझे इस बात का दुख है कि वा लोन और क्याव सोउ अभी भी सलाखों के पीछे हैं।”
वा लोन और क्याव सोउ म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्याओं की हत्याओं को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। यह रिपोर्ट पूरी हो पाती, उससे पहले ही इन दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया।
हालांकि, बाद में वा लोन और क्याव सोउ के साथी पत्रकारों ने मैसकर इन म्यांमार (म्यांमार में नरसंहार) नाम की इस रिपोर्ट को पूरा किया था। इसमें बौद्ध गांव वालों और म्यांमार सेक्योरिटी फोर्सेज द्वारा 10 रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा किए नरसंहार कीशामिल है। दूसरा पुरस्कार संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण लेते हुए मध्य अमेरिकी प्रवासियों की तस्वीरें लेने के लिए मिला है।
बताते चले कि पुलित्जर पुरस्कार अमेरिका का एक प्रमुख पुरस्कार है, जो पत्रकारिता और साहित्य जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कामों के लिए दिया जाता है।