जुबिली न्यूज़ डेस्क
हर साल होने वाली पुरी की रथयात्रा इस साल भी शुरू होने जा रही है। लेकिन इस बार की यह रथ यात्रा कुछ अलग होगी। कोरोना महामारी जैसा गंभीर संकट के दौर में भी यह रथयात्रा नहीं रुकेगी। बीते दिन सुप्रीमकोर्ट ने रथयात्रा की इजाजत दी हैं लेकिन कड़ी नियमों के साथ। इसका अनुष्ठान आज यानी मंगलवार सुबह से शुरू हो चुका है। साथ अहमदाबाद में आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंदिर परिसर में ही शुरू हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में थोडा बदलाव करते हुए कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए इस रथयात्रा में श्रद्धालु शामिल नहीं किये जाएंगे। कोर्ट ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान पुरी में कर्फ्यू लागू किया जाए।साथ ही एक रथ को 500 से ज्यादा लोग ना खींचें। रथ खींचने वाले सभी लोगों का कोरोना टेस्ट हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए।
इस रथ यात्रा में भीड़ इकट्ठा न होने पाए इसलिए शहर में सोमवार शाम चार बजे से धारा 144 लागू कर दी गई है।शीर्ष अदालत ने ओडिशा सरकार से कहा कि अगर हालात बेकाबू होते दिखें तो रथ यात्रा को रोका जा सकता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि पुरी के अलावा ओडिशा में कहीं और रथ यात्रा नहीं निकाली जाएगी।
वहीं जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा को इजाजत दी तो उधर पूरा पूरी जय जगन्नाथ के उद्घोष से गूंज उठा। सेवादारों ने तीनों रथ खींचकर मुख्य मंदिर तक पहुंचाए और रथयात्रा की तैयारियां जोरों से शुरू कर दी। तो इस बार भी हर साल की तरह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलेंगी लेकिन इस बार की यात्रा का नजारा कुछ अलग ही होगा।
ये भी पढ़े : दुनिया के 9वें सबसे अमीर शख्स बने मुकेश अंबानी
ये भी पढ़े : आखिर क्यों असफल हुई मोदी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना
ये भी पढ़े : मध्य प्रदेश में चीन की कम्पनी ने निकाले 62 भारतीय मजदूर
गौरतलब है कि गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर मना जाता है। यहां भगवान एक हफ्ते तक आराम करते हैं।इसके बाद वापसी की यात्रा शुरु होती है।ओडिशा में पुरी के अलावा भी कई जगहों पर ऐसी यात्राएं आयोजित की जाती हैं। वहीं अहमदाबाद में भी रथयात्रा निकलती है। आज गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाकर रथ खींचा।
हालांकि सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार, अहमदाबाद की रथयात्रा मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलेगी। चंद भक्तों के बीच सुबह 4 बजे मंगला आरती और दर्शन शुरू हुए। भगवान जगन्नाथ को रथ में बिठाकर पूरे दिन भक्त मंदिर परिसर में ही दर्शन कर सकेंगे। सिर्फ 10 लोगों को एक साथ मंदिर परिसर में आने की अनुमति है। सोशल डिस्टेंसिंग और थर्मल चेकिंग के बाद भक्तों को मंदिर में आने दिया जाएगा।
क्या है तैयारियां
भगवान जगन्नाथ सुबह 9 बजे खिचड़ी खाकर निकलेंगे। नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ को मंदिर के सिंह द्वार तक पहुंचाने की तैयारी शुरू हो गई है। नंदीघोष भगवान जगन्नाथ का रथ है। तालध्वज पर बलराम विराजेंगे और दर्पदलन पर सुभद्रा।तीनों रथों को खींचने के लिए शंखचूड़ा नागिन, वासुकी नाग और स्वर्णचूड़ा नागिन लाई गई हैं।यह नारियल से बनी रस्सियों के नाम हैं।