जुबिली न्यूज डेस्क
साल 2014 के बाद से भाजपा हर दिन नये कीर्तिमान स्थापित कर रही है। जहां पिछले सात साल से लोकसभा में भाजपा का डंका बज रहा है तो वहीं कई राज्यों में भाजपा का विस्तार हुआ।
लेकिन इन उपलब्धियों के बावजूद एक जगह भाजपा की मायूसी दिख रही थी। फिलहाल अब वहां भाजपा मजबूत स्थिति में आ गई है।
जी हां, हम राज्यसभा की बात कर रहे हैं। संसद में जहां भारतीय जनता पार्टी की ताकत में इजाफा हुआ है तो वहीं कांग्रेस की ताकत कम हो गई है।
राज्यसभा में पहली बार बीजेपी ने 100 का आंकड़ा छुआ है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली बीजेपी 1990 के बाद पहली पार्टी बन गई है।
गुरुवार को हुए चुनाव में असम, त्रिपुरा और नागालैंड में एक-एक सीट जीतने के बाद भाजपा ने राज्यसभा में 100 सदस्य होने की उपलब्धि हासिल की है।
छह राज्यों की 13 राज्यसभा सीटों के लिए हाल ही में हुए द्विवार्षिक चुनावों में बीजेपी को पंजाब में एक सीट गंवानी पड़ी, लेकिन तीन पूर्वोत्तर राज्यों और हिमाचल प्रदेश से पार्टी ने एक-एक सीट जीत लीं, जहां सभी पांच निवर्तमान सदस्य विपक्षी दलों से थे।
वहीं पंजाब में, आम आदमी पार्टी ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की है।
हालांकि राज्यसभा की वेबसाइट पर अभी तक नए टैली को जारी नहीं किया गया है। अगर हालिया चुनावों के दौरान बीजेपी को मिली सीटों को जोड़ दिया जाए तो उच्च सदन राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 100 पहुंच जाएगी।
भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट किया, “बीजेपी और उसके सहयोगियों ने असम से राज्यसभा की दोनों सीटें जीतीं। उत्तर पूर्व की अन्य दो सीटें, त्रिपुरा और नागालैंड भी भाजपा ने जीती हैं। इस तक यहां नतीजे 4/4 हैं। राज्यसभा में अब भाजपा के 100 सदस्य हैं। 1988 के बाद कोई पार्टी यहां नहीं पहुंची।”
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साल 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद से राज्यसभा में पार्टी की ताकत में लगातार इजाफा हुआ है।
2014 में राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 55 थी और तब से यह संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि इसके बाद से पार्टी ने कई राज्यों में सत्ता हासिल की है।
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मौजूदा समय में राज्यसभा में कांग्रेस की ताकत कम हुई है जिसके 29 सदस्य हैं। वहीं, टीएमसी के 13 सदस्य हैं, डीएमके के 10, बीजेडी के 9, आम आदमी पार्टी के 8, टीआरएस के 6, वाईएसआरसीपी के 6, एआईएडीएमके के 5, राजद के 5 और सपा के 5 सदस्य हैं।
इसके पहले 1990 में ऐसा हुआ था जब उच्च सदन में किसी पार्टी के सदस्यों की संख्या 100 या उससे अधिक थीं, तब तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस के 108 सदस्य थे।
1990 के द्विवार्षिक चुनावों में राज्यसभा में पार्टी की संख्या कम होकर 99 पहुंच गई और इसके बाद से ये संख्या कम होती गई।