न्यूज डेस्क
केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 निष्प्रभावी करने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। इसका कहीं विरोध हो रहा है तो कहीं स्वागत। ऐसी खबरों के बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जम्मू-कश्मीर के पढऩे वाले छात्रों ने मोदी सरकार के इस फैसले को ‘जले पर नमक छिड़कने’ जैसा करार दिया है।
दरअसल छात्रों की यह प्रतिक्रिया विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में ईद-उल-अज़हा के दिन लंच करने के लिए केंद्र के संपर्क अधिकारी संजय पंडिता के निमंत्रण पर आया है। छात्रों ने इस निमंत्रण को ठुकरा दिया।
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निमंत्रण के जवाब में छात्रों ने एक बयान जारी कर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य में संचार के माध्यमों पर रोक लगाने को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया। छात्रों ने मोदी सरकार के इस फैसले को ‘जले पर नमक छिड़कने’ जैसा करार देते हुए कहा कि इस निमंत्रण के जरिए क्रूर सरकार दुनिया के सामने अपना मानवीय चेहरा दिखाना चाहती है।
इन छात्रों ने स्पष्ट शब्दों में इस निमंत्रण को अस्वीकार करते हुए कहा कि अगर वे इस तरह के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं तो ये उनके माता-पिता के साहस का अपमान होगा जो बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण और जम्मू कश्मीर में पाबंदियों का सामना कर रहे हैं।
छात्रों ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और संचार सेवाओं पर प्रतिबंध के बारे में भी चिंता व्यक्त की है, जिसकी वजह से वहां की मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है।
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दूसरे राज्यों में जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए ईद के त्योहार को आयोजित करने के लिए नामित संपर्क अधिकारियों को एक लाख रुपये देने की मंजूरी दी थी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के छात्रों ने निराशा व्यक्त करते इस फैसले को राजनीतिक भावना से प्रेरित बताया।
छात्रों ने कहा कि उनके प्रति राज्यपाल की कोई सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि पैसे और निमंत्रण उनकी सहमति को खरीदने की कोशिश है। छात्रों ने कहा कि कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करना उनके अधिकारों की डकैती है।