Sunday - 27 October 2024 - 4:07 PM

आसान नहीं है सुरेश अंगड़ी होना

हेमेन्द्र त्रिपाठी

देश में कोरोना महामारी का कहर बढ़ता जा रहा है। हालात इतने खराब है कि रोजाना एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो रही है। अब तक देश में 57 लाख से अधिक लोग कोरोना के संक्रमण का शिकार हो चुके है जबकि 91 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना का कहर आम आदमी पर ही नहीं बल्कि कई बड़े नेताओं पर भी टूट रहा है।

बीते दिन कोरोना महामारी से रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का निधन हो गया। सुरेश अंगड़ी 11 सितंबर को कोरोना की चपेट में आये थे। इसके बाद उनको दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था लेकिन बुधवार को उनकी मौत हो गई। सुरेश अंगड़ी कर्नाटक के बेलगावी से सांसद थे। उनके निधन पर पीएम मोदी और एचडी देवगौड़ा ने शोक व्यक्त किया।

वैसे तो सुरेश अंगड़ी रेल राज्यमंत्री थे लेकिन उनकी छवि ऐसी थी कि कोई भी उनसे मिलता तो उनका भूल नहीं पाता। उनसे मिलकर आपको एक क्षण न लगे कि आप किसी मंत्री से रूबरू हो रहे हैं। मंत्री ऐसे की अगर उनका रेल भवन में दफ्तर और स्टाफ न हो तो आप ये नहीं जान सकते कि वो इस ताकतवर मोदी सरकार में एक अहम मंत्री थे।

उनके एक वाकये का जिक्र करते हुए वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने अपने संस्मरण में साझा किया कि एक बार मंत्री ने रेलवे सुरक्षा बल के एक आला अफसर से कहा कि उन पर बहुत दबाव है इसलिए मेहरबानी होगी अगर उनके क्षेत्र के एक रेलवे सुरक्षा बल कर्मी को पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग कर दी जाए।

अगले दिन उस अफसर ने मंत्री को बताया कि वे ऐसा करने में असमर्थ हैं क्यूंकि रिकॉर्ड के अनुसार उस RPF कर्मी ने अभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। इस पर रेल राज्यमंत्री मुस्कुराते हुए कहने लगे कि अच्छा रहने दीजिये। इसके थोड़े ही दिन बाद क्षेत्र के कुछ रसूखदार वोटर फिर मंत्री से मिलने पहुंचे और उन्हें बताया कि कार्यकाल के नियम को दरकिनार करके कुछ कर्मियों की पोस्टिंग हुई है।

इस पर रेल राज्यमंत्री को यकीन नहीं हुआ इसलिए उन्होंने पोस्टिंग के पिछले सारे रिकॉर्ड मंगवाए और उसमे तीन मामले ऐसे निकले जहां नियम के विरुद्ध पोस्टिंग की गयी थी। मंत्री ने रिकॉर्ड के आधार पर आला अफसर को अपने दफ्तर में तलब किया और बेहद विनम्रता से बताया कि RPF में नियम को बाईपास करके कुछ पोस्टिंग्स की गयी है।

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मंत्री के जवाब में आला अफसर ने कहा कि ये पोस्टिंग उनसे पहले एक आईपीएस अफसर ने दबाव में आकर की थीं।’ सर मैंने जब से चार्ज लिया है, एक भी कर्मी को नियम विरुद्ध पोस्ट नहीं किया है। इसलिए मेरी दिक्कत समझिये। मैं नहीं कर सकता हूँ’।

दीपक शर्मा ने कहा कि अगर लालू जैसा कोई मंत्री होता तो उस दिन ये आला अफसर सस्पेंड हो चुका होता। लेकिन सुरेश की प्रतिक्रिया बिल्कुल अलग थी। उन्होंने उस आला अफसर के लिए चाय-बिस्कुट-नमकीन मंगाई और कहा कि रेलवे को ऐसे ही अफसर को जरुरत है। सुरेश जी ने अपने मातहत इस अफसर से ये भी स्वीकार किया कि उन्होंने रेलराज्य मंत्री का नया-नया चार्ज लिया है। इसलिए उन्हें नहीं पता कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में लॉक इन पीरियड है।

यही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि RPF के इस कर्मी की पोस्टिंग को लेकर क्षेत्र के कुछ प्रभावी लोगों का उनपर बार बार दबाव बनाया जा रहा था। इस साफगोई से बात करने पर ये आला अफसर भी सुरेश जी प्रभावित हुआ और आगे चलकर दोनों लोगों ने मंत्री और आला अफसर ने रेल की एक मजबूत टीम बन गए और मिलकर रेल टिकटों की दलाली के करोड़ों रूपए के भ्रष्टाचार को बेनकाब किया।

गौरतलब है कि रेल राज्यमंत्री की कोरोना संक्रमित होने से पहले कई ऐसे बड़े नेता है जो कोरोना की चपेट में आ चुके है। मानसून सत्र शुरू होने से पहले कोरोना की चपेट में 25 सांसद आ चुके हैं। देश के गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, रीता बहुगुणा जोशी जैसे कई सांसद कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।

Radio_Prabhat
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