Monday - 28 October 2024 - 5:36 PM

इस्राएल : 12 महीने में तीसरा आम चुनाव

न्यूज डेस्क

राजनीतिक दलों में सरकार बनाने को लेकर मतभेद सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य मुल्कों में भी होता है। इस्राएल में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। यहां सरकार बनाने की समय सीमा समाप्त हो गई और कोई भी दल सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाया। फिलहाल अब इस्राएल में तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है।

इस्राएल में सरकार बनाने की समय सीमा बुधवार मध्यरात्रि तक थी लेकिन इससे पहले ही सांसदों ने संसद भंग करने की प्रक्रिया शुरु कर दी। सांसदों ने एक प्रस्ताव पास कर संसद को भंग कर दिया।

2 मार्च 2020 को सांसदों ने मतदान के लिए प्रस्ताव पास किया है। राजनीतिक दलों के नेता एक दूसरे पर सरकार का गठन ना हो पाने के लिए आरोप लगाते दिखे। पिछले एक साल से इस्राएल में राजनीतिक स्थिरता के साथ मतदाताओं में अविश्वास का भाव पैदा होता दिख रहा है.

गौरतलब है कि इस्राएल में इसी साल अप्रैल और सितंबर में आम चुनाव हुए थे। इन दोनों चुनावों में किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला और अब यह तीसरा मौका होगा जब पार्टियां बहुमत के लिए जोर लगाएंगी।

दोनों चुनाव में बेन्यामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी और विरोधी पार्टी ब्लू एंड वाइट के नेता बेनी गांज में से कोई भी बहुमत नहीं पा सका था।

हालांकि नेतन्याहू और गांज ने एक बार गठबंधन सरकार बनाने के बारे में चर्चा भी की थी, लेकिन दोनों साथ आने में सफल नहीं हो पाए।

11 दिसंबर को बेन्यामिन नेतन्याहू ने विरोधी पार्टी ब्लू एंड वाइट की ओर इशारा करते हुए अपने बयान में कहा, “उन्होंने हमारे ऊपर चुनाव थोपा है।”

वहीं बेनी गांज ने नेतन्याहू को जवाब में कहा कि नेतन्याहू की कानूनी मुश्किलें और भ्रष्टाचार के मामले के कारण ही इस्राएल में तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है। गांज ने कहा, “हम तीसरी बार चुनाव में जा रहे हैं इसका कारण नेतन्याहू हैं, क्योंकि वह कानूनी मामलों से खुद को बचाना चाहते हैं। हमें इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।”

मालूम हो कि नेतन्याहू पर तीन अलग-अलग आपराधिक मामले हैं, जिनमें जालसाजी, रिश्वतखोरी और विश्वासघात के आरोप हैं। 70 वर्षीय नेतन्याहू इस्राएल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले नेता भी हैं। नेतन्याहू चाहते थे कि संसद ऐसा प्रस्ताव पास करे जिससे उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में सजा ना दी जा सके।

यह भी पढ़ें : पेटेंट के मामले में क्यों फिसड्डी है भारत

यह भी पढ़ें : क्या है पूर्वोत्तर राज्यों में लागू इनर लाइन परमिट नियम

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com