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आरोपी पुलिसवालों को बरी करने पर इशरत जहां की मां ने क्या कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क

2004 के कथित इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में बीते बुधवार को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने आखिरी बचे तीनों पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया। अदालत के इस फैसले पर इशरत जहां की मां ने कहा कि उन्हें ऐसी ही उम्मीद थी।

इशरत जहां की मां शमीम कौसर ने कहा कि ऐसा तो पिछले 17 सालों से हो रहा है। उन्होंने कहा कि शुरू से ही सुनवाई एक तरफा थी।

द वायर की खबर के अनुसार 31 मार्च की सुबह सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद मुंबई के नजदीक मुंब्रा के मुस्लिम बहुल राशिद कंपाउंड में स्थित इशरत के घर पर पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। हालांकि उनके परिवार ने उसे वापस लेने का आग्रह किया।

शमीम कौसर ने कहा, ‘शुरु में जब विशेष जांच दल ने यह कहते हुए अपनी रिपोर्ट दर्ज की कि मुठभेड़ फर्जी थी, तब मुझे उम्मीद थी लेकिन जैसे-जैसे घटनाएं आगे बढ़ीं, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया गया।’

उन्होंने आगे कहा कि, ‘हमें न्याय नहीं मिला है और हत्यारों को मुक्त किया जा रहा है। यह कोई नई बात नहीं है। ये उनके लोग, उनका कानून और उनका फैसला है और क्या उम्मीद की जा सकती है?’

शमीम के मुताबिक मुठभेड़ की पृष्ठभूमि तैयार की गई थी ताकि उसे एक सच्ची घटना कही जा सके।

शमीम कौसर ने सवाल पूछते हुए कहा, ‘उन्होंने कहा कि मेरी बेटी एक आतंकवादी थी और अब वे कहते हैं कि मुठभेड़ वास्तविक थी, लेकिन फिर, एसआईटी ने पहले क्यों कहा कि मुठभेड़ फर्जी थी?

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उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सोची-समझी साजिश के तहत की जाने वाली हत्या थी न कि मुठभेड़। जब सरकार इस रिपोर्ट को खारिज कर सकती है तो यह स्पष्ट हो गया कि एक दिन आरोपी आजाद हो जाएंगे।’

मालूम हो कि शमीम ने साल 2019 में अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि वह लड़ाई को जारी रखते हुए बहुत थक गई हैं और अदालत की कार्यवाही से खुद को दूर कर रही हैं।

हालांकि अब शमीम को लगता है कि वह एक बार फिर से लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि, ‘फिलहाल इन सबसे मैं बहुत ही परेशान हूं लेकिन मैं यह जिम्मेदारी फिर संभालूंगी। मैं अपने वकीलों से सलाह लूंगी और जो जरूरी होगा करूंगी। हमें अभी भी कोई न्याय नहीं मिला है। मैं यह सब कुछ यहीं छोडऩे का इरादा नहीं रखती हूं।’ 

मालूम हो इशरतजहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी। इसमें चारों मारे गए थे।

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इशरत मुंबई के समीप मुंब्रा के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं। पिछले डेढ़ दशक से इशरत जहां एनकाउंटर मामला काफी चर्चा में रहा है। राजनीतिक तौर पर भी यह मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है।

इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।

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सीबीआई ने इस केस में साल 2013 में चार्जशीट दाखिल किया था और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था। इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे।

इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं।

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