जुबिली स्पेशल डेस्क
देश की सियासत में लगातार कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। महाराष्ट्र में सियासी तूफान थमने का नाम ले रहा है। पहले शिवसेना के दो भाग हुए और अब एनसीपी के दो भाग हो चुके हैं।
चाचा पवार और भतीजे अजित के बीच रार अब इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि दोनों के रास्ते अब अलग-अलग हो गए है। भतीजे अजित सत्ता का सूख चाहते हैं इसलिए उन्होंने शरद पवार से ही बगावत कर डाली और शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर ली है।
अब सवाल है कि एनसीपी का क्या होगा। सवाल ये भी है एनसीपी अब किसकी है। शरद पवार की या फिर अजित पवार की। दोनों ही अपने हिसाब से पार्टी पर अपना दावा पेश कर रहे हैं। मामला कोर्ट तक जा सकता है लेकिन अगर देखा जाये शरद पवार के पास अब एक रास्ता और जो उस पर चलने पर मजबूर हो सकते हैं। दरअसल अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार के कद पर गहरा असर पड़ा है। ऐसे में अब आवाज उठ रही है कि क्या क्या शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस में विलय हो सकता है।
इससे पहले भी कई मौकों पर दोनों पार्टियों में विलय की बात सामने आती रही है लेकिन उस वक्त ऐसा हो नहीं पाया था लेकिन इस बार अजित पवार की गहरे जख्म की वजह से एनसीपी और कांग्रेस में विलय की अपार संभावना बढ़ती हुई नजर आ रही है।
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ये शरद पवार ही थे जिन्होंने 1999 में सोनिया के विदेशी मूल को आधार बनाकर कांग्रेस से अपना हाथ अलग कर लिया था लेकिन अब सोनिया गांधी भी खुद भारतीय राजनीति में अपनी खराब सेहत की वजह से सक्रिय नहीं रहती है। इस वजह से शरद पवार चाहे तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कांग्रेस में विलय करा सकते हैं लेकिन ये इतना आसान नहीं है।
जब राहुल गांधी भारतीय राजनीति में अपनी पकड़ बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे तब ये सवाल ये उठ रहा था कि एनसीपी और कांग्रेस का विलय हो जाना चाहिए।
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बात 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले की है जब शरद पवार ने एक इंटरव्यू में राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दे डाला था। उन्होंने राहुल पर निरंतरता की कमी का आरोप लगाया था।
उनकी ये बात कांग्रेस को रास नहीं आई थी और बात बन पायी। अब जब उनके भतीजे ने उनके खिलाफ जाकर ये सब किया है तो अब सवाल उठ रहा है कि शरद पवार के पास अच्छा मौका है कि वो अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दे। अब देखना होगा कि क्या ऐसा हो पाता है।