धनंजय कुमार
बीजेपी देशभर में विरोधियों को निबटाने के लिए पूजीपतियों, ईडी और कोर्ट का जिस तरह तरह से सुनियोजित और तानाशाही इस्तेमाल कर रही है, उससे उसके समर्थकों में खुशी है लेकिन विपक्ष और लोकतंत्र को बनाए रखने वाले बुद्धिजीवी चिंतित हैं। नड्डा के पटना में दिए गए बयान- सिर्फ बीजेपी बचेगी, यह ऐलान है कि देश में लोकतंत्र नहीं चलेगा अब। संविधान की छुट्टी और आगे मनुस्मृति के आधार पर ही देश चलेगा।
पटना में इस तरह का ऐलान निश्चित तौर पर नीतीश कुमार के लिए नींद उड़ाने वाला है। नीतीश पिछले 17 सालों से भले बीजेपी के साथ सरकार चला रहे हैं, लेकिन समय बेसमय नीतीश बीजेपी को झटका भी देते रहे हैं।
याद कीजिए, बीजेपी के द्वारा नरेंद्र मोदी को नेता चुने जाने के बाद, नीतीश कुमार ने विरोध किया था और बीजेपी से रिश्ता तोड़कर राजद-कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी। उससे पता चलता है कि नीतीश नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते हैं। हालांकि, 2020 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश को बता दिया था कि आपके साथ रहकर हम आपके पर कुतर सकते हैं। चिराग पासवान को उकसा कर मोदी ने नीतीश कुमार को गहरा झटका दिया था।
नीतीश कुमार सब जानते हुए चुप रह गए, क्योंकि मोदी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन अब जिस तरह से मोदी के रणनीतिकार नीतीश कुमार को घेरने में लगे हैं, उससे जाहिर हो रहा है कि मोदी जी नीतीश कुमार को चेता रहे हैं, या तो चुप रहिए या शिवसेना की दुर्दशा देख अपनी पार्टी का भविष्य पढ़ लीजिए।
पूरे देश में विरोधियों पर ईडी जिस तरह से हमलावर है, उससे सिर्फ नीतीश की पार्टी ही बची है। बीजेपी के रणनीतिकार भी नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने या कहें उग्र होने से बच रहे हैं। पिछले दिनों अग्निवीर योजना से गुस्साये छात्रों के आंदोलन के दौरान जिस तरह से बीजेपी के दो कार्यालय जलाए गए, बीजेपी के प्रमुख नेताओं के घरों पर हमले हुए, बावजूद इसके बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व शांत रहा। सवाल खड़ा होता है-क्यों?
बिहार के बीजेपी नेताओं को जलील करने का काम भी नीतीश कुमार जबतक करते रहते हैं- विधानसभा अध्यक्ष को जिस तरह से भरी विधानसभा में खरी खोटी सुनाई थी, उसे पूरे देश ने देखा, लेकिन बीजेपी के किसी बड़े नेता ने कुछ नहीं बोला। फिर बीजेपी के एक बड़े मंत्री-राजस्व मंत्री रामसूरत राय को जिस तरह से फैसले लेने से रोका, उसपर भी बीजेपी के नेता चुप रहे। खुद रामसूरत राय ने कहा कि नीतीश कुमार से कोई शिकायत नहीं है।
तो ये सवाल उठना लाजिमी है पूरे विपक्ष को निबटाने की मंशा लिए चलने वाली बीजेपी नीतीश कुमार के सामने चुप क्यों हो जाती है?
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नड्डा ने भले ही पटना में कहा हो कि सिर्फ बीजेपी बचेगी बाकी विपक्ष-रीजनल दल भी खत्म हो जाएंगे। लेकिन शाह ने दुहराया कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे। इसके पीछे क्या रहस्य है?
एक बात और समझ लीजिए, नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच चल रहा शीत युद्ध अपने आखिरी दौर में है। या तो संघ बिखर जाएगा या विपक्ष समाप्त हो जाएगा। निर्णायक युद्ध बिहार में ही होगा। ऐसे में सवाल है क्या बीजेपी नीतीश कुमार से डरती है? या जानती है कि नीतीश कुमार के बाद जदयू बीजेपी में समाहित हो जायेगी?
नीतीश कुमार वंशवादी नहीं हैं। उनके बाद उनका बेटा पार्टी या सत्ता का दावेदार नहीं होगा। जबकि बाकी पार्टियों में सत्ता या पार्टी नेतृत्व वंश के अनुसार होगा। लेकिन क्या नीतीश कुमार ये बात समझ नहीं रहे हैं? क्या वो चाहते हैं कि देश से विपक्ष का खात्मा हो जाए और एकछत्र राज्य बीजेपी का हो जाए?