संजय सनातन
लखनऊ।समाजवादी पार्टी (सपा) से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अलग होने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में सियासी तूफान आ गया है। सपा नेताओं का कहना है कि गठबंधन से उनकी पार्टी का नुकसान हुआ है।
इस बीच बेटे अखिलेश को अकेले पड़ता देख सपा संस्थापक और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिहं यादव सक्रिय हो गए हैं। वह पार्टी और बेटे टीपू को मजबूती देने के लिए जोर-शोर से लगे।
पार्टी से पहले परिवार को मजबूत करने के सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने सैफई में डेरा जमा लिया है और पूराने नेताओं से लगातार बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में शामिल होने के लिए मुलायम ने सपा से अलग हो कर नई अपनी पार्टी बना चुके अपने भाई शिवपाल सिंह यादव को भी बुलाया है।
माना जा रहा है कि मुलायम इस दौरान प्रगतीशील समजावादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को वापस सपा में शामिल होने के लिए मनाएंगे।
अभी एक दिन पूर्व ही बसपा सुप्रीमों मायावती ने सपा से अलग की राहें
बहुजन समाज पार्टी की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सूबे में भारतीय जनता पार्टी के वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत से जीतने पर योगी घबरा से सी गयीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनाये गये। इसी के बाद सीएम व डिप्टी सीएम और कैराना की लोकसभा की सीट के लिए उपचुनाव हुआ। इसमें बसपा और सपा एक हो गयी। अप्रत्यासित परिणाम आये। इसी के बाद लोकसभा 2019 में भी सपा-बसपा एक होकर चुनाव लड़े पर करारी हार के बाद बसपा ने कल ही सुपा से अलग होकर एकला चलने का ऐलान किया।
अकेले पड़े अखिलेश के लिए मुलायम ने मजबूती को झोंकी पूरी ताकत
समाजवादी पार्टी के मुखिलाय मुलायम हर दिक्कतों को आसानी से निपट लेते थे। लेकिन बेटे टीपू अखिलेश य़ादव की लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद असहज हुए। इसी बीच बसपा मुखिया का अखिलेश का साथ छोड़ना मुलाय़म को और ही परेशानी में डाल दिया। सपा के सूत्रों के मुताबिक इस मुलायम सिह ने कमर कस ली और उनका कहना है कि अभी अखिलेश अकेले नहीं हैं। सपा और अखिलेश को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत लगा दी जायेगी। इसी के साथ मुलाय़म ने सबसे पहले शिवपाल को एक करने की रणनीति तैयार की है।
अखिलेश और शिवपाल के एक होने को बड़ी उपलब्धि बता रहे सपाई
समाजवादी पार्टी एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के एक साथ होने को लेकर चल रही खबरों के बीच जब जुबली पोस्ट डाट इन ने सपा के नेताओं से बातचीत की तो उनका कहना था कि यह बहुत ही अच्छा है। हम लोग तो कभी से चाह रहे हैं कि अखिलेश और शिवपाल जी एक हो जांय। रही बात बसपा सुप्रीमों मायावती के अलग होने की तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।