प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. बाज़ार खुल गए हैं. सड़कों पर गाड़ियां दौड़ने लगी हैं. ई रिक्शा और ऑटो पर पहले की तरह सवारियां चलने लगी हैं. अधिकाँश ई रिक्शा चालकों के चेहरों पर मास्क नहीं है. घनी बस्तियों की सड़कों पर भीड़ इस तरह से गुजर रही है जैसे कि कोरोना खत्म हो गया हो.
कल पूरा दिन पानी बरसने के बाद आज कड़ी धूप निकली तो सड़कों पर खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी. नक्खास के विक्टोरिया स्ट्रीट पर ओवर हेड ब्रिज बन रहा है. करीब ढाई महीने काम बंद रहने के बाद आज काम दोबारा शुरू हुआ है. दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ब्रिज के लिए 64 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है.
ब्रिज का निर्माण भी शुरू हो गया है और लॉक डाउन खत्म होने के बाद लोगों की आवाजाही भी शुरू हो गई है. विक्टोरिया स्ट्रीट कोरोना आने के पहले जिस तरह से जाम रहा करती थी बिलकुल उसी तरह से अब जाम से जूझ रही है.
यहियागंज, रकाबगंज और मौलवीगंज में दुकानें खुल गई हैं. आधी सड़क तक वाहन खड़े हैं और आधी सड़क जाम से जूझ रही है. बगैर मास्क लगाए ई रिक्शा चालक सवारियां ढो रहे हैं. ई रिक्शा और ऑटो में सवारियों के बीच डिस्टेंसिंग की बात सोचना भी बेईमानी जैसा है. इस भीड़ में ज़रा सा भी यह महसूस नहीं होता कि भारत दुनिया में महामारी के मामले में छठे नंबर पर पहुँच गया है और पांचवें नंबर पर आने को बेताब नज़र आ रहा है.
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सिटी स्टेशन रोड, क्रिश्चयन कालेज, गुलाब सिनेमा और बलरामपुर अस्पताल के आसपास इतनी भीड़ है कि एक बार फिर एम्बूलेंस जाम में फंसने लगी है. पुराने शहर में कमोबेश हर जगह ऐसे ही हालात हैं. जाम की यही स्थिति रात नौ बजे तक रहती है. साढ़े नौ बजे से बैरीकेडिंग पर पुलिस की जांच शुरू हो जाती है. अपने वाहनों से घर लौट रहे लोगों से पुलिस कर्फ्यू पास मांगने लगती है.
पूरा दिन आम लोगों के भरोसे शहर को छोड़कर रात को कर्फ्यू पास चेक किये जाने की प्रक्रिया से यह साफ़ तौर पर महसूस हो रहा है जैसे कि कोरोना का हमला दिन में नहीं रात में ही होता है. दिन पूरी तरह से सुरक्षित है. दिन में सड़कों पर उमड़ती भीड़ से यह जानकारी लेने की ज़रुरत किसी को नहीं है कि कौन से ज़रूरी काम से वह सड़क पर हैं.
एक दिन में दस हज़ार लोग कोरोना से संक्रमित होने लगे हैं. यह आंकड़ा अभी और भी ज्यादा बढ़ेगा लेकिन इसके बावजूद सख्ती खत्म हो चुकी है. कोरोना का डर हर किसी में है लेकिन सावधानी बरतना लोगों ने छोड़ दिया है. लॉक डाउन में ढील दी गई है क्योंकि अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है लेकिन सड़कों पर एक साथ उमड़ने वाली भीड़ और बैंकों के बाहर लगी लम्बी-लम्बी लाइनें यह बताने को पर्याप्त हैं कि कोरोना का कहर इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है.