प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. बिहार में 20 फीसदी वोटों की गिनती के बाद एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नज़र आ रही है. सरकार कौन बनाएगा यह तो फिलहाल तय नहीं हो पा रहा है लेकिन कल तक जो एग्जिट पोल सामने आ रहा था उसे मतगणना ने खारिज कर दिया है. मौजूदा हालात बता रहे हैं कि टक्कर कांटे की है और नतीजा बहुत ज्यादा फर्क वाला नहीं होगा. जीत-हार बहुत कम वोटों से होने वाली है.
वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार कहते हैं कि चुनाव परिणाम जो भी हों लेकिन तेजस्वी यादव जैसे कम उम्र के लड़के ने सरकार के कामकाज को चुनौती दे दी है. बिहार चुनाव में बीजेपी के लिए सुकून की बात यह है कि उनके वोट अपनी जगह पर कायम हैं लेकिन यादव वोट इधर-उधर बंट गए हैं.
वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि बिहार चुनाव का ट्रेंड बदलने के लिए पुष्पम प्रिया की इंट्री हुई थी. पुष्पम प्रिया ने एनडीए बनाम तेजस्वी की जंग के बीच अपना स्पेस बनाने की कोशिश की थी लेकिन बिहार के मतदाताओं ने लड़ाई को एनडीए बनाम तेजस्वी पर ही सीमित बनाए रखा. पुष्पम प्रिया अपनी ही सीट से पीछे नज़र आ रही हैं.
पंकज कुमार का कहना है कि पुष्पम प्रिया बिहार के इस चुनाव में तो कुछ नहीं कर पाएंगी लेकिन यह चुनाव यह बताता है कि 2024 के चुनाव की तस्वीर बदली हुई नज़र आयेगी. पुष्पम प्रिया और नीतीश के करीबी रहे अरुण कुमार जैसे नए लोग राजनीति की तस्वीर को बदलेंगे.
वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव कुमार भी साफ़ तौर पर कहते हैं कि टक्कर बहुत कांटे की है और यह कहा नहीं जा सकता कि ऊँट किस करवट बैठेगा. स्थितियां मिनट-मिनट पर बदल रही हैं. साफ़ तस्वीर के लिए कुछ घंटे इंतज़ार करना होगा.
इस चुनाव में तेजस्वी के पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन खोने के लिए नीतीश के पास बहुत कुछ है. इस चुनाव में सबसे फायदे में बीजेपी है. उसकी सीटें बढ़ रही हैं. परिणाम आने के बाद एनडीए की सरकार बनने की स्थिति आती है और नीतीश की सीटें कम हो जाती हैं तो बीजेपी अपर हैण्ड रहेगी. यही वजह है कि चुनाव में बीजेपी ने चिराग पासवान के कंधे पर भी हाथ बनाए रखा ताकि ज़रूरत पड़ने पर उनका सहयोग भी लिया जा सके. बात साफ़ है कि नुक्सान सिर्फ नीतीश कुमार का ही है.
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इस चुनाव में बीजेपी ने इतना सेफ गेम खेला कि पूरे चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ तो आवाजें उठ भी रही थीं लेकिन बीजेपी का कहीं भी विरोध नहीं था. बीजेपी अपनी सीटें भी बढ़ा रही थी और विरोध से भी दूर थी. चुनाव परिणाम के बाद एनडीए सरकार बनाने की स्थिति में अगर आती है और बीजेपी की सीटें ज्यादा होती हैं तब चिराग पासवान का इस्तेमाल बीजेपी नीतीश के खिलाफ आवाज़ उठाने में करेगी और तब मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने में बीजेपी को आसानी हो जायेगी.