जुबिली न्यूज डेस्क
बसपा की सियासी जमीन को बचाने के लिए मायावती ने आठ साल पहले अपने भतीजे आकाश आनंद को राजनीति में लाया था। उन्हें राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर से लेकर पार्टी का उत्तराधिकारी बनाने तक का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन रविवार को मायावती ने दोनों को उनके पदों से हटा दिया। इस कदम को उठाने के लिए मायावती ने पूरी जिम्मेदारी आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर डालते हुए कहा कि आकाश पर कार्रवाई के लिए वे जिम्मेदार हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब मायावती को अपने भतीजे के खिलाफ सख्त कदम उठाना पड़ा है; इससे पहले भी पिछले एक साल में यह दूसरी बार है।
आकाश आनंद पर मायावती का सख्त कदम
आकाश आनंद ने 2016 में राजनीति में कदम रखा था, लेकिन वे 2017 में ही सियासी चर्चा में आए, जब वे मायावती के साथ सहारनपुर दंगों के दौरान नजर आए थे। उसी साल उन्हें पार्टी की एक बैठक में परिचित कराया गया। इसके बाद, मायावती ने धीरे-धीरे उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारियां दीं और उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और फिर कोऑर्डिनेटर बनाया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, मायावती ने आकाश आनंद को अपना सियासी उत्तराधिकारी घोषित किया था।
उत्तराधिकारी बनने के बाद, आकाश ने चुनाव प्रचार में आक्रामक रणनीति अपनाई, लेकिन इसी दौरान कुछ विवादास्पद टिप्पणियों के कारण उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई। इसके बाद, 7 मई 2024 को लोकसभा चुनाव के बीच में मायावती ने उन्हें उनके पदों से हटा दिया, लेकिन अगले ही महीने उन्हें फिर से बहाल कर दिया। इस बार, मायावती ने उन्हें अन्य राज्यों में बसपा संगठन और चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी, लेकिन आठ महीने बाद, एक बार फिर उन्हें उनके पद से हटा दिया गया।
आकाश आनंद की जगह रामजी गौतम ने संभाली कुर्सी
बसपा के सूत्रों के अनुसार, मायावती ने 17 फरवरी को दिल्ली में एक बैठक में आकाश आनंद को उनके निर्णय से अवगत करवा दिया था। इसके बाद, रविवार को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में औपचारिक रूप से आकाश आनंद को उनके पद से हटा दिया गया। बैठक में आकाश की अनुपस्थिति साफ दिखाई दी, और उनकी निर्धारित कुर्सी पर पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम बैठे हुए थे। इस प्रकार, अब बसपा में आकाश आनंद की जगह रामजी गौतम ने ले ली है।
इसके साथ ही, मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को भी पार्टी का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है, जो आकाश के पिता हैं। रामजी गौतम और आनंद कुमार मिलकर बसपा को देशभर में मजबूत बनाने की जिम्मेदारी निभाएंगे। मायावती के इस कदम के बाद आकाश आनंद के लिए राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, आनंद कुमार दिल्ली में रहकर पार्टी के कागजी कामों को देखेंगे, पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे और राज्य इकाइयों के साथ समन्वय बनाएंगे। वहीं, रामजी गौतम देशभर में यात्रा करेंगे, पार्टी समर्थकों से जुड़ेंगे, जमीनी रिपोर्ट एकत्र करेंगे और मायावती के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करेंगे।
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क्या आकाश आनंद का सियासी करियर खत्म हो गया?
बसपा में आकाश आनंद के लिए फिलहाल कोई सियासी जगह नहीं बची है, क्योंकि मायावती ने साफ शब्दों में कहा है कि आकाश का राजनीतिक करियर उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के कारण खराब हुआ है। पार्टी से निष्कासन के बाद, यह सवाल उठता है कि अशोक सिद्धार्थ का आकाश पर कितना असर पड़ेगा और उनकी पत्नी का आकाश पर प्रभाव कितना रहेगा। फिलहाल, यह स्थिति सकारात्मक नहीं दिखाई दे रही है, इसलिए मायावती ने पार्टी और आंदोलन के हित में आकाश को सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया।
मायावती ने 12 फरवरी को अशोक सिद्धार्थ और बीएसपी के पूर्व केंद्रीय-राज्य समन्वयक नितिन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इन दोनों पर गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। 18 दिन बाद, मायावती ने आकाश आनंद को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया। मायावती ने कहा कि अशोक सिद्धार्थ ने यूपी सहित पूरे देश में पार्टी को दो गुटों में बांटकर कमजोर किया, और यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
मायावती का कहना था कि यह स्थिति उनके बेटे की शादी के समय भी देखी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि अब यह देखना होगा कि आकाश की पत्नी और ससुर का आकाश पर कितना प्रभाव पड़ता है, जो फिलहाल सकारात्मक नहीं दिख रहा है। इस प्रकार, मायावती का मानना है कि आकाश पर उनके ससुर और पत्नी का प्रभाव बहुत ज्यादा है, और इसी कारण उन्हें पार्टी के पदों पर नहीं रखा जा सकता।
आकाश आनंद के लिए आगे क्या विकल्प हैं?
मायावती के द्वारा आकाश आनंद के खिलाफ लिए गए दो बड़े एक्शन के बाद उनके भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। अब सवाल यह है कि आकाश आनंद आगे क्या करेंगे? क्या वे बसपा में बने रहेंगे या किसी नए राजनीतिक रास्ते पर चलेंगे?
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बसपा में बने रहना:
आकाश के पास पहला विकल्प बसपा में बने रहने का है। हालांकि मायावती ने उन्हें राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया है, लेकिन वह अभी भी पार्टी के सदस्य हैं। उन्हें बाहर नहीं निकाला गया है, और वह एक साधारण कार्यकर्ता की तरह काम करते हुए सही समय का इंतजार कर सकते हैं। उनके पिता आनंद कुमार अब भी पार्टी में दूसरे नंबर पर काबिज हैं, इसलिए आकाश के पास पार्टी में बने रहने का एक अवसर है। -
मायावती का विश्वास फिर से जीतना:
आकाश आनंद को अब मायावती का विश्वास फिर से जीतने की कोशिश करनी चाहिए। यदि वे साबित कर पाते हैं कि वे अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव से मुक्त हैं, तो हो सकता है कि मायावती उन्हें फिर से जिम्मेदारी दें। मायावती के बारे में यह कहा जाता है कि वह जल्दी गुस्से में आ जाती हैं, लेकिन अगर आकाश अपने काम से उन्हें संतुष्ट कर पाते हैं तो भविष्य में उन्हें फिर से महत्वपूर्ण पद मिल सकते हैं। -
बसपा से अलग होना:
एक और विकल्प आकाश के सामने है कि वह बसपा से अलग हो जाएं और अपना राजनीतिक भविष्य अलग रास्ते पर तलाशें। हालांकि, यह विकल्प बहुत कम संभावना वाला है क्योंकि बसपा से बाहर जाना और खुद को स्थापित करना आसान नहीं है। बसपा छोड़ने के बाद जो नेता गए हैं, उनका सियासी करियर बहुत सफल नहीं रहा है। आकाश आनंद के लिए बसपा छोड़ना एक कठिन निर्णय हो सकता है, क्योंकि दलित समाज पर मायावती का ही प्रभुत्व है। -
कारोबार पर ध्यान केंद्रित करना:
राजनीति के साथ-साथ आकाश आनंद व्यवसाय में भी सक्रिय हैं। उन्होंने लंदन से बिजनेस की पढ़ाई की है और तब से व्यापार में लगे हुए हैं। मायावती के एक्शन के बाद, आकाश आनंद अपने कारोबार पर फोकस करने का निर्णय ले सकते हैं। यह विकल्प भी सबसे ज्यादा संभावित दिख रहा है, क्योंकि उनका व्यापारिक क्षेत्र उन्हें एक अलग पहचान दिला सकता है।
आकाश आनंद के लिए फिलहाल कई रास्ते खुले हुए हैं, लेकिन बसपा में उनका भविष्य अब पहले जैसा नहीं रहा। यह देखना होगा कि वह किस दिशा में आगे बढ़ते हैं – क्या वे पार्टी में अपनी जगह फिर से बनाते हैं, या राजनीति से अलविदा लेकर अपने कारोबार को बढ़ाते हैं।