जुबिली न्यूज डेस्क
ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई शुक्रवार को तेहरान की ग्रैंड मस्जिद पहुंचे। यहां जुटे हजारों लोगों को उन्होंने जुमे की नमाज पढ़ाई। खामेनेई ने करीब पांच साल बाद इस मस्जिद में आकर नमाज पढ़ाई और लोगों को संबोधित किया। खामेनेई ने संबोधन में सबसे ज्यादा जोर दुनिया के मुसलमानों की एकजुटता पर दिया। उन्होंने लेबनान और गाजा के लोगों से एकजुटता दर्शाई और इजरायल पर जमकर निशान साधा। खामेनेई का ये संबोधन ऐसे समय पर हुआ है, जब ईरान और इजरायल में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।
अपने दुर्लभ सार्वजनिक संबोधन में अयातुल्ला अली खामेनेई राइफल के साथ नजर आए। इस दौरान खामेनेई ने इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले को कानूनी और सही बताते हुए कहा, कुछ रात पहले हमारे सशस्त्र बलों का ऑपरेशन पूरी तरह से वैध था। उन्होंने कहा कि इजरायल को हमारी सेना ने उचित जवाब दिया और आगे भी हम जवाब देने का हक रखते हैं।
खामेनेई ने कहा कि हमास और हिजबुल्लाह को इजरायल से लड़ने का कानूनी अधिकार है। हर एक इंसान को हमलावरों के खिलाफ अपनी भूमि, घर, देश और हितों की रक्षा करने का अधिकार है। लेबनान में हिजबुल्लाह और गाजा में हमास अपनी जमीन बचाने के लिए हमलावरों से लड़ रहे हैं किसी भी अंतरराष्ट्रीय निकाय के पास उनकी भूमि और अधिकारों की रक्षा पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है।
मुसलमानों से एकजुट होने की अपील करते हुए ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा, ‘हमें अफगानिस्तान से यमन, ईरान से गाजा और लेबनान तक सभी इस्लामी देशों में रक्षा की कमर कसनी होगी। यह पहला मुद्दा है जिस पर मैं चर्चा करना चाहता था। मैं चाहता हूं दुनिया गरीब मुस्लिमों के लिए आगे आए। अरब के देशों से भी मैं कहना चाहता हूं कि वह इस लड़ाई में लेबनान, फिलिस्तीन का साथ दें।’
अमेरिका और इजरायल को घेरा
खामेनेई ने ये भी कहा कि इजरायल को अमेरिका और पश्चिमी देश समर्थन कर रहे हैं क्योंकि वो इस क्षेत्र की तेल संपदा और सभी संसाधनों को जब्त करना चाहते है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजरायल हमें लूटना चाहते हैं। ऐसे में इनके खिलाफ किसी की भी लड़ाई केवल क्षेत्र के लिए बल्कि पूरी मानवता की सेवा की तरह है।
खामेनेई ने कहा, ‘दुनियाभर के मुसलमानों के बीच दरार पैदा की जा रही है। वे फिलिस्तीन लेबनान, मिस्र, इराक सबके दुश्मन हैं। वे यमन और सीरियाई के भी दुश्मन हैं। हम सबका दुश्मन एक है। ये दुश्मन चाहता है कि किसी भी सूरत में मुसलमान एक ना हों, मुसलमानों में फूट पड़ी रहे। दुश्मन को पहचानते हुए मुसलमान साथ आएं।’