जुबिली न्यूज डेस्क
चेन्नै: मद्रास हाई कोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के सेवानिवृत्त अधिकारी जी संपत कुमार को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की ओर से दायर अदालत की अवमानना के एक मामले में शुक्रवार को 15 दिन के कैद की सजा सुनाई। हालांकि बेंच ने सजा को 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया ताकि संपत कुमार को सजा के खिलाफ अपील दायर करने का मौका मिल सके।
धोनी ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के खिलाफ कथित रूप से अवमानना वाले बयान देने के लिए IPS अधिकारी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दर्ज कराया था। धोनी ने IPL सट्टेबाजी में अपना नाम लिए जाने को लेकर 2014 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था और 100 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की थी।
जानबूझकर अदालत को बदनाम करना
इस मुकदमे पर दायर संपत कुमार के न्यायपालिका के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें दंडित करने का आग्रह किया गया था। पीठ ने कहा कि संपत ने जानबूझकर अदालत को बदनाम करने और इनके अधिकार को कम करने का प्रयास किया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति एस एस सुंदर और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि सजा 30 दिनों के लिए निलंबित रहेगी ताकि पुलिस अधिकारी फैसले के खिलाफ अपील कर सकें। अपने खिलाफ धोनी के मानहानि के मुकदमे पर अपनी लिखित 17 दिसंबर, 2021 की प्रतिक्रिया में, संपत कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ आक्षेप लगाए जिन्हें क्रिकेटर ने उजागर किया था।
धानी की याचिका में क्या आरोप?
धोनी की अवमानना याचिका में कहा गया है, ‘उन्होंने (संपत कुमार) कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून के शासन पर अपना ध्यान भटकाया और न्यायमूर्ति मुद्गल समिति (2013 मैच फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिए गठित) के बयान को रोक दिया और इसे सीलबंद लिफाफे में रखा।’ याचिका में कहा गया है कि संपत कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट का मकसद सीबीआई अधिकारी विवेक प्रियदर्शिनी को जांच के लिए सीलबंद कवर उपलब्ध नहीं कराना था।
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हाई कोर्ट के अपमान का आरोप
धोनी की याचिका में आरोप लगाया गया है कि आईपीएस अधिकारी ने तमिलनाडु के महाधिवक्ता के कार्यालय सहित अदालत के नामित वरिष्ठ वकीलों के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय का अपमान किया।