जब टीम संकट में हो, तब कप्तान का पहला काम होता है जिम्मेदारी लेना, न कि खुद को बैटिंग ऑर्डर में छुपा देना। अक्षर पटेल ने बिल्कुल वही किया — खुद चौथे नंबर पर उतरकर पारी को संभाला, नाबाद 34 रन बनाए और टीम को जीत तक पहुंचाया।
जुबिली स्पेशल डेस्क
आईपीएल 2025 के 40वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 8 विकेट से धूल चटा दी। केएल राहुल की नाबाद 57 रन और अक्षर पटेल की कप्तानी में दिल्ली ने बड़ी ही सहजता से लक्ष्य हासिल कर लिया।
ओपनर अभिषेक पोरेल ने पहले अर्धशतक जड़ा, फिर कप्तान अक्षर पटेल ने 34 रन की नाबाद पारी खेलकर दिल्ली को जीत दिला दी। इस सीज़न में ये दिल्ली की लखनऊ पर दूसरी जीत है और उनकी कुल छठी जीत, जिससे उन्होंने प्लेऑफ की रेस में अपनी दावेदारी और मज़बूत कर ली है।
आईपीएल 2025 के 40वें मुकाबले में ऋषभ पंत की कप्तानी और बल्लेबाज़ी दोनों सवालों के घेरे में आ गई हैं। 27 करोड़ की बोली के साथ टीम की कमान संभालने वाले पंत ने न सिर्फ रणनीतिक चूक की, बल्कि बैटिंग ऑर्डर में खुद को सातवें नंबर पर भेजकर टीम की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। दूसरी ओर दिल्ली के कप्तान अक्षर पटेल ने मोर्चा संभाला, चार नंबर पर उतरे, और फ्रंट से लीड करते हुए लखनऊ को बैकफुट पर धकेल दिया। यही फर्क होता है एक सोच में और फैसले में! जहां पंत आखिरी ओवर में बिना खाता खोले पवेलियन लौटे, वहीं अक्षर ने टीम को भरोसा दिया, लीडरशिप दिखाई। सोशल मीडिया पर वायरल गोयनका का रिएक्शन साफ दिखाता है कि कुछ तो गलत हुआ है। अब सवाल उठता है—क्या पंत को कप्तानी दोबारा सोचनी चाहिए?
डेविड मिलर, अब्दुल समद और आयुष बदोनी जैसे खिलाड़ियों को उनसे ऊपर भेजने का फैसला बुरी तरह फ्लॉप रहा। वहीं, दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान अक्षर पटेल चार नंबर पर खुद उतरे और मैच की कमान थाम ली। यह फर्क साफ दिखा कि एक कप्तान जिम्मेदारी ले रहा था, दूसरा उसे टाल रहा था।
पूरन के आउट होने के बाद भी पंत ने खुद को नहीं भेजा — और जब 19.4 ओवर में पंत मैदान पर आए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्होंने सिर्फ दो गेंदें खेलीं, बिना खाता खोले वापस लौटे। उनके आउट होते ही टीम मालिक संजीव गोयनका का गुस्सा कैमरे में कैद हो गया, और सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया।
जब टीम संकट में हो, तब कप्तान का पहला काम होता है जिम्मेदारी लेना, न कि खुद को बैटिंग ऑर्डर में छुपा देना।
अक्षर पटेल ने बिल्कुल वही किया — खुद चौथे नंबर पर उतरकर पारी को संभाला, नाबाद 34 रन बनाए और टीम को जीत तक पहुंचाया।
वहीं दूसरी तरफ, ऋषभ पंत?
19.4 ओवर पर मैदान में आना, दो गेंदें खेलना और जीरो पर आउट! इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि जब टीम को कप्तान की जरूरत थी, वो दिखा ही नहीं।
सोशल मीडिया पर भी एक ही सवाल गूंज रहा है
“27 करोड़ के कप्तान को अगर पारी के आख़िरी दो गेंदों में ही खेलना है, तो बाकी वक्त क्या वो ड्रेसिंग रूम में रील्स बना रहे थे?” अक्षर ने ये दिखा दिया कि कप्तानी सिर्फ टॉस जीतने या फील्ड सेट करने का नाम नहीं है, ये मैदान में उतरकर टीम को खींचने का नाम है।