धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। ठीक एक साल पहले राजधानी लखनऊ में यूपी इन्वेस्टर समिट के माध्यम से ये सन्देश देने की कोशिश की गयी थी की निवेश का रास्ता खुलने लगा है, लेकिन लखनऊ नगर निगम को इन्वेस्टर ढूढ़े नहीं मिल रहे है। अब पता चल रहा है की लखनऊ में ही निवेशको के न मिलने से फ्लैट्स का निर्माण ही नहीं शुरू किया जा सका। ये निगम का पहला रियल एस्टेट प्रोजेक्ट था, जो फाइल में सिमटता हुआ दिखाई दे रहा है।
अगर आप नगर निगम के फ्लैट्स लेने का सपना देख रहे हैं तो आपको लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि सिटी बांड के वित्तीय पेंच में फंसने के कारण फिलहाल इसे जारी नहीं किया जा सकेगा। जिसकी वजह से इंवेस्टर्स सामने नहीं आएंगे और इसका सीधा असर निगम की ओर से तैयार कराए जा रहे फ्लैट्स पर पड़ेगा। फिलहाल निगम प्रशासन की ओर से बांड जारी करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
भविष्य अधर में, नगर निगम के 700 फ्लैट्स पर संकट
नगर निगम की ओर से करीब दो सौ करोड़ का सिटी बांड जारी किया जाना था। निगम प्रशासन को उम्मीद थी कि सिटी बांड जारी करने से कई योजनाओं को रफ्तार मिल सकती है, जिसमें मुख्य रूप से पीजीआई के पीछे तैयार कराए जा रहे फ्लैट्स शामिल हैं।
निगम प्रशासन की ओर से निवेशकों को लुभाने के लिए मुंबई में इंवेस्टर्स समिट का आयोजन भी कराया गया था। हालांकि कोई बेहतर रिस्पांस सामने नहीं आया था। इसके बाद अगला इंवेस्टर्स समिट दिल्ली में आयोजित किया जाना था।
नगर निगम की ओर से रायबरेली रोड स्थित ओमैक्स सिटी के पास 700 के करीब फ्लैट बनाए जा रहे हैं। यहां 43.58 वर्गमीटर से लेकर 153 वर्ग मीटर के फ्लैट उपलब्ध होंगे। इनकी कीमत 10.50 लाख से शुरू होकर 64.00 लाख तक है।
फंसा हुआ है वित्तीय पेंच
निगम प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, सिटी बांड पर वित्तीय पेंच फंस गया है। इसकी वजह से फिलहाल इसे जारी नहीं किया जा सकता है। जिससे साफ है कि निवेशकों को लुभाने के लिए कोई कवायद नहीं की जाएगी। जब तक सिटी बांड में निवेश नहीं होगा, तब तक निगम की योजनाओं में भी वित्तीय निवेश होना संभव नहीं है।
एक नजर में फ्लैट्स
टाइप-एचआईजी टाइप ए (जी प्लस थ्री)
फ्लैट-48
कीमत-64 लाख
टाइप-एचआईजी टाइप बी (जी प्लस 8)
फ्लैट-324
कीमत-63 लाख
टाइप-एमआईजी (जी प्लस 6)
फ्लैट-112
कीमत-34.41 लाख
टाइप-एलआईजी (जी प्लस 6)
फ्लैट-170
कीमत-25 लाख
टाइप-ईडब्ल्यूएस (जी प्लस 3)
फ्लैट-32
कीमत-10.5 लाख
फिलहाल अभी सिटी बांड जारी नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से निगम की अन्य योजनाओं में निवेश की संभावना शून्य है। जून में कुछ सकारात्मक खबर मिलेगी।
डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त