न्यूज डेस्क
महज कुछ घंटे पहले तक हरियाणा में बहुत साफ तस्वीर दिख रही थी। मनोहन लाल खट्टïर की ताजपोशी के साथ बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने की भविष्यवाणी की जा रही थी। फिलहाल अब तस्वीर बदल गई है। हरियाणा में सत्ता का समीकरण दिलचस्प हो गया है। दोबारा सत्ता में आने का दंभ भरने वाली बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर होती दिख रही है।
भारतीय जनता पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव को लेकर बहुत निश्चिंत थी। उसे पूरी उम्मीद थी कि सत्ता में भाजपा वापस लौटेगी, लेकिन आज सारे अनुमान गलत साबित होते दिख रहे हैं। शुरुआती चुनावी रूझान में हरियाणा में बीजेपी अच्छी पोजीशन में थी, लेकिन मतगणना आगे बढ़ी तो बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर होती दिखने लगी।
चुनाव आयोग के मुताबिक अब तक के रुझानों में 90 सीटों वाले हरियाणा में बीजेपी, कांग्रेस में कांटे की टक्कर चल रही है। कुछ देर के लिए तो दोनों पार्टियां 35-35 सीटों पर आगे चल रही थीं। हालांकि अब बीजेपी 36 पर बढ़त बनाए हुए है वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार 34 सीटों पर आगे चल रहे हैं।
किंगमेकर की भूमिका में आए दुष्यंत चौटाला
हरियाणा के इस चुनाव में आईएनएलडी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ‘किंगमेकर’ के तौर पर उभरी है। आज सबसे ज्यादा चर्चा में दुष्यंत चौटाला है। अब सबसे अहम सवाल है कि जरूरत पडऩे पर दुष्यंत चौटाला किसके लिए अपना ट्रैक्टर चलाएंगे। दरअसल उनकी पार्टी के 10 उम्मीदवार लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। ऐसे में सरकार गठन के लिए उनके विधायक महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही 10 अन्य विधायक भी अहम हो गए हैं। इनमें आईएनएलडी और निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
बीजेपी के पास क्या है विकल्प
फिलहाल अब तक के चुनावी परिणाम से कुछ हद तक हरियाणा में तस्वीर साफ हो चुकी है कि सत्ता में कौन आयेगा। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के सामने क्या विकल्प बचते हैं। 46 के जादुई आंकड़े तक वह कैसे पहुंचेगी?
हरियाणा में चर्चा है कि दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस से सीएम पद की मांग की है। ऐसे में साफ है कि उनकी महत्वाकांक्षा बड़ी है। इसे देखते हुए बीजेपी निर्दलीयों एवं अन्य को प्राथमिकता में रख सकती है। बीजेपी की कोशिश होगी कि JJP से बात न बनने की स्थिति में वह INLD और अन्य से बहुमत साबित कर सके।
बीजेपी के सामने एक और विकल्प है कि वह 6 निर्दलीय और इंडियन नेशनल लोकदल के 2 उम्मीदवार को अपने पाले में लाए। यदि वह आते हैं तो बीजेपी 48 के आंकड़े पर होगी, जो बहुमत से दो सीट ज्यादा होगा। यदि बीजेपी इनकी बजाय दुष्यंत चौटाला की जेजेपी को साधती है तो यह आंकड़ा 50 का होगा। अगर बीजेपी 40 के 42 के बीच थमती है, तो ज्यादा संभावना है कि वह दुष्यंत की बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा की बजाय निर्दलीय और अन्य को साधने की कोशिश करे।
कांग्रेस के सामने क्या है विकल्प
हरियाणा में चुनाव से महज कुछ दिन पहले कांग्रेस की ड्राइविंग सीट संभालने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा ने इस चुनाव में खुद को साबित किया है। कांग्रेस हाईकमान के बिना हुड्डा ने खुद को साबित किया है।
लोकसभा चुनाव में पस्त कांग्रेस में जान फूंकते हुए वह इसे 32 के आंकड़े पर पहुंचाते दिख रहे हैं। दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने इस चुनाव में जाट आंदोलन को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। अगर अभी तक के रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं, तो कांग्रेस को बहुमत के लिए 14 सीटों की दरकार होगी। उसे जेजेपी (10) के साथ 4 अन्य की भी जरूरत होगी।
तो क्या कर्नाटक मॉडल पर राजी होगी कांग्रेस?
यदि कांग्रेस और दुष्यंत चौटाला साथ आते हैं तो दोनों मिलकर 40 सीटों के आंकड़े पर पहुंचेंगे। इसके अलावा यदि वे 6 निर्दलीय को साध लें तो सरकार गठन के जादुई आंकड़े को पा जाएंगे। हालांकि कांग्रेस को इसके लिए दुष्यंत चौटाला की बढ़ी हुई महत्वाकांक्षाओं को मानना होगा। यदि वह ऐसा करती है तो यह एक तरह का कर्नाटक मॉडल होगा।
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