जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले डेढ़ माह में कोरोना ने लोगों को कई अनुभव कराया। एक ओर लोग कोरोना संक्रमण की वजह से जान गवां रहे थे तो वहीं कुछ लोग आपदा में भी अवसर तलाश रहे थे। देश के कई राज्यों से दवाई, इंजेक्शन,ऑक्सीजन की कालाबाजारी की खबरें आई तो वहीं इस दौरान मानवता भी खूब शर्मसार हुई।
पिछले दिनों कई मार्मिक तस्वीरें सामने आई जिसमें अकेली बेटी ने मां को दफन किया तो कहीं अकेले बेेटे ने पिता का अंतिम संस्कार किया। किसी के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे तो लाश का दफन कर दिया।
लेकिन इस बीच कई मानवता की मिसाल पेश करने वाली तस्वीरें और खबरें भी आईं, जिसमें लोगों जाति-धर्म की परवाह न कर लोगों ने रीति-रिवाज के साथ शवों का दाह-संस्कार किया।
यह भी पढ़ें : जानिये मौत के कितनी देर बाद तक शरीर में एक्टिव रहता है कोरोना
यह भी पढ़ें : कोरोना : तीसरी लहर से बच्चो को बचाने की तैयारियां तेज़
केरल में भी कोरोना संकट के बीच इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली एक खबर सामने आई है। केरल के अलाप्पुझा जिले में एक कैथोलिक चर्च ने कोविड -19 से मरने वाले एक हिंदू व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए अपने कब्रिस्तान के दरवाजे खोल दिये।
राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने चर्च के इस सराहनीय फैसले की प्रशंसा की है। एडथुआ के सेंट जॉर्ज चर्च के कब्रिस्तान में मंगलवार रात 86 वर्षीय के श्रीनिवास की चिता जलायी गई।
गुरुवार को सीएम विजयन ने चर्च के इस कदम की सराहना की। उन्होंने कहा, “सेंट जॉर्ज चर्च ने अपने कब्रिस्तान में एक ऐसे व्यक्ति के दाह संस्कार की अनुमति दी, जो उनके कम्यूनिटी का सदस्य नहीं था। उनका यह फैसला सराहनीय है।”
यह भी पढ़ें : टीका लगाने वाला दुनिया का दूसरा देश बना भारत
यह भी पढ़ें : दुनिया के सबसे अनोखे बॉर्डर के बारे में कितना जानते हैं आप?
तमिल मूल के प्रवासी श्रीनिवासन का मंगलवार सुबह निधन हो गया था। दरअसल एडथुआ में कोई सार्वजनिक श्मशान नहीं है और उनका पांच सदस्यीय परिवार वर्तमान में क्वारंटाइन में है, सभी का टेस्ट पॉजिटिव आया था। वहीं भारी बारिश के कारण उनके आवास और परिसर में पानी भर गया है।
एडथुआ ग्राम पंचायत के सदस्य एम डी थॉमस ने बताया कि अस्पताल में कई मौतें हो रही हैं, हम शव को मुर्दाघर में लंबे समय तक नहीं रख सकते।
थॉमस ने कहा “जब संपर्क हमने किया, तो चर्च के पैरिश पुजारी मैथ्यू चूरावाडी ने एक पल के लिए सोचा। पैरिश पदाधिकारियों के साथ एक संक्षिप्त परामर्श के बाद, फादर मैथ्यू ने मुझे बताया कि अंतिम संस्कार कब्रिस्तान में किया जा सकता है।”
यह भी पढ़ें :भारत की लगा झटका, मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर डोमिनिका कोर्ट ने लगाई रोक
यह भी पढ़ें : सिर्फ भारत में ही क्यों फैल रहा ब्लैक फंगस
वहीं फादर मैथ्यू ने कहा कि उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी समझी और ऐसा करने दिया। फादर ने कहा ” कोरोना महामारी एक कठिन समय है। संकट की घड़ी में हम सभी को जरूरतमंदों की मदद करनी है। कब्रिस्तान में एक हिंदू की चिता को अनुमति देना ईसाई प्रेम को प्रदर्शित करने का एक अवसर था, जिसका मैं प्रचार करता हूं।”