ओम दत्त
कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद ही खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। हर दिन कोरोना के मरीजों के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। नए मामले हों या फिर मौतों की बढ़ती संख्या रूकने का नाम नहीं ले रही है।
सरकार संक्रमण पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं लेकिन सब नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं।
इन सबके बीच जिसकी आजकल बेहद अधिक मांग हो गई है वह है इंजे. रेमडेसिवीर (Remdesivir)जिसकी कई जगहों पर कालाबाजारी हो रही है।
रेमडेसिवीर (Remdesivir) को लेकर भारी मारा मारी मची हुई है।
खबर आ रही है कि बनारस में 42000 रुपये तो गोरखपुर में 56000रुपये लखनऊ में 70000रुपये का एक फाइल रेमडेसिवीर लोग खरीद रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुल 6 इंजेक्शन लगाये जाने हैं।
अब आप जोड़िये तो 1200रुपये का इंजेक्शन है और काला बाजारी में लोग लाखों खर्च कर रहे हैं लेकिन कितनों की जान बची इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। सरकार ने भी यह नहीं बताया कि इसके लगने से कितने लोगों की जान बची।
खुद के जानने वाले कोरोना मरीजों का आंकडा़ देखें तो इस इंजेक्शन के लगने के बाद भी मौत हो ही गई। यह भी देखा जा रहा है कि कई प्राइवेट अस्पताल वेंटिलेटर पड़े मरीज को लगाने के लिये इस इंजेक्शन का उपयोग कर रहे हैं फिर भी मौतों में कमी नहीं आई है और तौ और इन प्राइवेट नर्सिंग होम में इस इंजेक्शन के दाम भी बढ़ा चढ़ा कर वसूले जा रहे हैं। न होने पर बाहर से लाने के लिये दबाव अलग से है।
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सरकार बस बता रही है कि इसकी कालाबाजारी पर रोक लगाई जा रही है ,जमाखोर पकड़े जा रहे हैं।इससे लोगों में इस दवा को लेकर और घबराहट फैल रही है कि पता नहीं कब जरूरत पड़ जाय इस लिये जो मिले जैसे मिले रख लिया जाय।
क्या है इंजेक्शन रेमडेसिविर (Remdesivir)
रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा को हहेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए एक अमेरिकी दवा कंपनी मैसर्स गिलियड साइंसेज ने बनाया था। फिलहाल देश में सात भारतीय कंपनियां मैसर्स गिलियड साइंसेज के साथ मिलकर रेमेडिसविर का उत्पादन कर रही हैं।
देश में दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल से केंद्र ने दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसका प्रयोग इमरजेन्सी होने पर कोविड-19 संक्रमण के गंभीर मामलों में ही देने का निर्देश है।
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जानें वास्तविकता-कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर क्या वाकई असरदार है-
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर को लेकर कहा है कि अभी तक ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं जिससे यह साबित हो सके कि यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में उपयोगी है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने एक प्रतिष्ठित पत्रिका से बातचीत मे कहा कि हमारे द्वारा किये गये परीक्षणों में हमने यह पाया कि रेमेडिसविर से न तो किसी मरीज में संक्रमण के दिनों में कमी आ रही है और न ही अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों की जान बचाने में यह कारगर साबित हुआ है।
- हांलाकि कई चिकित्सा विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रेमडेसिवीर को कोविड के पेशेंट के लिए महत्तवपूर्ण दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है,लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत इमर्जेन्सी में विवेकपूर्ण तरीके से होना चाहिए।
- ज़ाहिर है हाई एंड एंटीवाइरल ड्रग के इस्तेमाल के लिए डॉक्टर की सलाह के बगैर किसी को भी दवा उपलब्ध कराना,एक्सपर्ट की निगाह में कतई उचित नहीं कहा जा सकता है।
- सरकार को चिकित्सा विशेषज्ञों के हवाले से बताना चाहिये कि रेमडेसिवीर कोविड के पेशेंट के लिए कब और कितनी महत्त्वपूर्ण दवा है।
सरकार प्राइवेट नर्सिंग होम पर भी निगाह रखे कि बेवजह रेमडेसिवीर की मांग मरीज के परिजनों से न की जाय। - सरकार को यह प्रचार भी जोर शोर से करना चाहिये कि कोरोना के मद्देनजर इसे सबको दिया जाना जायज नहीं है। कई डॉक्टर्स का मानना है कि लंग्स कंप्रोमाइज होने पर इस दवा के इस्तेमाल की जरूरत पड़ती है और रोगी को सीरियस कंडीशन में बचाने में मदद मिल सकती है लेकिन मौत से बचाने में कितनी कारगर है इसका किसी के पास पुख्ता जवाब नहीं है।