जुबिली स्पेशल डेस्क
वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड,IMF) ने मंगलवार भारत की मुद्रास्फीति को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बताया है कि वित्तवर्ष में मुद्रास्फीति क्या रह सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की माने तो 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्तवर्ष में मुद्रास्फीति 6.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी जा सकती है। इतना ही नहीं 2024 में यह और घटकर 4 फीसदी पर आ सकती है।
IMF के रिसर्च डिपार्टमेंट में डिवीज़न चीफ़ डैनियल ली ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अन्य देशों की ही तरह भारत में भी मुद्रास्फीति के 2022 में 6.8 फीसदी से घटकर 2023 में 5 फीसदी पर आने का अनुमान है, और फिर 2024 में यह 4 फीसदी तक जा सकती है।
विश्व अर्थव्यवस्था को लेकर IMF ने बताया है कि ग्लोबल ग्रोथ साल 2023 में पहले की अपेक्षा में कम रहने की संभावना है। IMF के मुताबिक वर्ल्ड इकोनॉमी साल 2023 में 2.9 फीसदी की दर से बढ़ेगी।
जबकि 2022 में इसका अनुमान 3.4 फीसदी था। वहीं साल 2024 की बात करें तो में विश्व की अर्थव्यवस्था में फिर एक बार तेजी देखी जा सकती है और यह 3.1 फीसदी के दर से बढ़ सकती है।
वहीं भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो इस तिमाही में भारत की इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी। भारत की अर्थव्यवस्था मौजूदा तिमाही में 6.8 फीसदी की दर से बढ़ रही है, जो अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.1 फीसदी रहने की संभावना है।
कोरोना संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आती नज़र आ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में भी सुधर देखने को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2021 -22 की दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत GDP ग्रोथ के आंकड़े सामने आए हैं।
बता दे कि मोदी सरकार के लिए कोरोना संकट के बीच लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी के मोर्चे को लेकर अच्छी खबर आ रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के जारी आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.4 फीसदी जा पहुंची है।
इससे पहले कोरोना संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही जुलाई- सितंबर में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के जारी आंकड़े के अनुसार इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।