जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: भारत में अभी मानसून ने दस्तक नहीं दी है, लेकिन इससे पहले ही आशंका जताई जा रही है देश सूखे से प्रभावित हो सकता है. इस साल देश में अल नीनो का इफेक्ट देखने को मिलेगा, जिससे बारिश और बर्फबारी बहुत कम होगी. अगर एल नीनो का प्रभाव रहा तो कृषि उत्पादन में गिरावट आएगी, यानी खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी.
बता दे कि अमेरिका स्थित राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने जून-दिसंबर 2023 में अल नीनो के फिर से उभरने की भविष्यवाणी की है. कई शोध रिपोर्टों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति को उच्च बनाए रखते हुए कृषि उत्पादन में गिरावट की संभावना पर प्रकाश डाला है. अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में जलवायु पैटर्न हैं.
भारत में खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में जहां भी सूखे जैसी स्थिति बनी, वहां अल नीनो का प्रभाव रहा है. माना जा रहा है कि भारत में भी इस साल सूखे के वजह से खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा. राज्यों के अनाज खरीदने की क्षमता कम हो जाएगी.
भारत को छह वर्षों में 10 प्रतिशत या उससे अधिक की वर्षा की कमी का सामना करना पड़ा है. शोध में कहा गया है कि भारत में सूखे के अधिकांश वर्ष अल नीनो के साथ मेल खाते हैं.
भारत को तैयार रहने की जरूरत है. मौसम विभाग ने 22 फरवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस महीने अधिकतम तापमान गेहूं उगाने वाले उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक है. उच्च तापमान के कारण पिछले मार्च अनाज का उत्पादन 3 मिलियन टन कम था.
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सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. सब्सिडी वाले राशन के हकदार गरीब लोगों को गेहूं खाने वाले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित 10 राज्यों में गेहूं के बदले चावल दिया गया था. कुल मिलाकर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत गेहूं का आवंटन 24 मिलियन टन से घटाकर 18 मिलियन टन कर दिया गया था.
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