जुबिली स्पेशल डेस्क
इन दिनों आम जनतों एलपीजी सिलेंडर के लगातार बढ़ रहे दामों को लेकर परेशान हैं। इस मुद्दे पर सरकार चौतरफा घिरी हुई है। विपक्ष जमकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रह है।
देश में महंगाई की मार से आम आदमी बेहाल है। आम-आदमी सबसे ज्यादा परेशान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से है। पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों ने नया रिकॉर्ड बना चुकी जबकि गैस के दामों में बढ़ोत्तरी लगातार देखने को मिल रही है।
इसके अलावा खाद्य तेलों की कीमत भी दोगुनी हो गई है। इसके अलावा दूध, एलपीजी सिलेंडर, दालों की बढ़ी क़ीमतों ने भी आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी है।
हालात तो इतने खराब हो गए है कि जुलाई में कंज्यूमर फूड इंडेक्स इन्फ्लेशन बढ़कर 11.51 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि खाद्य और पेय पदार्थों के बास्केट में मुद्रास्फीति बढ़कर 10.57 फीसदी तक जा पहुंची, हालांकि, दूसरी ओर आज ही आए थोक महंगाई दर के आंकड़े राहत के संकेत दे रहे हैं। जुलाई के महीने में खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय लक्ष्य 2-6 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई है।
जून के महीने में थोक महंगाई दर -4.12 फीसदी घटी थी. ये लगातार चौथा महीना है, जब फूड प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने के बीच थोक महंगाई दर इंडेक्स शून्य से नीचे है।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो अप्रैल महीने में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली। खाने का सामान सस्ता होने से अप्रैल महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गयी। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े में यह जानकारी दी गई।
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अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। उस समय यह 4.48 प्रतिशत रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अप्रैल में 3.84 प्रतिशत रही जो मार्च में 4.79 प्रतिशत थी। एक साल पहले अप्रैल महीने में 8.31 प्रतिशत थी।
अगर बात पिछले मार्च 2022 की जाये तो ये 6.95 फीसदी की दर से बढ़ी थी। इतना ही नहीं खुदरा महंगाई का यह 18 महीने का उच्च स्तर पर आंकी गई थी। पिछले साल की समान अवधि में यानी अप्रैल 2021 में देश की खुदरा महंगाई दर 4.21 जा पहुंची थी।