Wednesday - 30 October 2024 - 2:53 AM

‘अपराध नहीं है प्रेमिका से बेवफाई’

न्यूज डेस्क

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रेमिका के साथ बेवफाई अपराध नहीं है। यौन सहमति पर ‘न का मतलब न’ से आगे बढ़कर, अब ‘हां का मतलब हां’ तक व्यापक रूप से माननीय है।

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी दुष्कर्म के एक मामले में एक व्यक्ति को बरी करने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा। दरअसल एक महिला ने एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था, जिसने शादी का वादा किया था।

हाईकोर्ट ने पुलिस की अपील को खारिज करते हुए कहा कि इस व्यक्ति को बरी करने के निचली अदालत के फैसले में कोई कमी नहीं है। दो वयस्क आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि शादी के वादे का लालच देकर शारीरिक संबंध बनाने के आरोपों का महिला ने इस्तेमाल न सिर्फ आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को सही ठहराने के लिए किया, बल्कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी अपने आचरण को सही ठहराने के लिए किया। महिला ने इंटरनल मेडिकल जांच से भी इनकार कर दिया।

जस्टिस विभु भाखरू ने कहा कि जहां तक यौन संबंध बनाने के लिए सहमति का सवाल है, 1990 के दशक में शुरू हुए अभियान ‘न मतलब न’, में एक वैश्विक स्वीकार्य नियम निहित है। मौखिक ‘न’ इस बात का साफ संकेत है कि यौन संबंध के लिए सहमति नहीं दी गई है। यौन संबंध स्थापित करने के लिए जब तक एक सकारात्मक, सचेत और स्वैच्छिक सहमति नहीं है, यह अपराध होगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि महिला का दावा है कि उसकी सहमति अपनी मर्जी से नहीं थी बल्कि यह शादी के वादे के लालच के बाद हासिल की गई थी, इस मामले में साबित नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि पहली बार रेप के कथित आरोप के तीन महीने बाद, महिला 2016 में आरोपी के साथ अपनी मर्जी से होटल में जाती दिखी और इस बात में कोई दम नजर नहीं आता कि उसे शादी के वादे का लालच दिया गया था।

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