जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. “भारत गांवों में बसता है। गांवों में जब तक शहरों जैसी सुविधाएं विकसित नहीं की जाएंगी, तब तक समग्र भारत का विकास नहीं होगा”, यह अवधारणा थी महात्मा गांधी की। महात्मा गांधी की इसी अवधारणा को केंद्र और प्रदेश सरकार ने आत्मसात किया है। जिसके तहत प्रदेश सरकार ने गांव और कस्बों में कृषि आधारित उद्योग-धंधे लगाने के इच्छुक लोगों हर स्तर पर मदद करने का फैसला किया है। प्रदेश के गांव-कस्बों में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने की पहल करने वाले ग्रामीणों को सरकार सस्ता ऋण (लोन) दिलवाएगी। भारत सरकार के एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से लोगों को न्यूनतम दर पर उद्योगों की स्थापना के लिए लोन मुहैया कराया जाएगा। इस संबंध में तैयार हुई योजना के तहत सूबे के गांव कस्बों में 12 हजार करोड़ रुपए के उद्योग लगवाने का लक्ष्य रखा गया है। उक्त योजना के तहत 30 लाख से दो करोड़ रुपए तक का ऋण लिया जा सकता है।
भारत सरकार के एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड से अगले तीन वर्षों में उद्योग स्थापित करने वालों को 12 हजार करोड़ रुपए की धनराशि से ऋण दिलाया जा सकता है। इस फंड का मूल उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देते हुए किसानों की आय बढ़ावा हैं। सरकार का मत है कि ग्रामीण इलाकों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से किसानों की आय में इजाफा होगा और रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में जाने वाले ग्रामीणों का पलायन भी रुकेगा।
इसी सोच के तहत बीते केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक उद्योगों की स्थापना के लिए वृहत योजना तैयार कर उसे लागू करने का सुझाव सभी राज्यों को दिया था। किसानों की आय में इजाफा करने तथा गांवों से होने वाले पलायन को रोकने संबंधी केंद्र की यह योजना प्रदेश सरकार को भी अच्छी लगी। ऐसे में सूबे सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव को राज्य का नोडल अधिकारी बनाया गया। यह भी तय हुआ कि सूबे के दस विभागों से समन्वय करते हुए ग्रामीण तथा कस्बाई क्षेत्रों में अधिक से अधिक उद्योग स्थापित करने की योजना तैयार कर गांव -कस्बों में उद्योग स्थापित करने को बढ़ावा दिया जाएगा।
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सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में फ़ूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, मछली पालन, आटा चक्की, कोल्ड रूम, हर्बल उत्पाद, दाल तथा धान प्रसंस्करण यूनिट लगाने तथा अन्य कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए सस्ता ऋण मुहैया कराया जाएगा। सहकारी संस्थाओं को भी ऋण मुहैया कराया जाएगा। सहकारी संस्थाओं को 4 फीसदी ऋण मिलेगा, इसमें तीन फीसद ब्याज अनुदान यानि ब्याज एक फीसदी। निजी संस्था/ उद्यमी को छह फीसदी पर ऋण मिलेगा, इसमें तीन फीसदी अनुदान यानी तीन फीसद पर ब्याज।
कृषि, उद्यान,मत्स्य पालन, रेशम, सहकारिता तथा एमएसएमई विभाग साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों की मदद करेंगे। हाथ कागज उद्योग, रेशा उद्योग,वन आधारित उद्योग,मधुमक्खी पालन उद्योग,जैव प्रौद्योगिकी व ग्रामीण यांत्रिकी उद्योग, तथा वस्त्र उद्योग और अन्य सेवा संबंधी उद्योग स्थापित करने के इच्छुक ग्रामीणों को भी ऋण दिलवाया जायेगा। अधिकारियों का कहना है कि किसानों को उद्यमी बनाने की उक्त योजना के तहत जल्दी ही प्रदेश के गांव-कस्बों में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किए जाने का सिलसिला शुरू होगा और इन उद्योगों में स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। डेवेलप्मेन्ट ऑफ माइक्रो इन्टरप्राइजेज इन रूरल एरियाज की मूल अवधारणा के तहत किसानों को उद्यमी बनाया जाएगा जिससे उनकी आय दोगुनी की जा सके।