जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। शायरी को पसंद करने वालों के लिए मंगलवार की शाम बुरी खबर लेकर आई है। दरअसल मशहूर शायर राहत इंदौरी अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके चाहने वाले गम में डूब गए है।
कोरोना काल में लगातार मौते हो रही है। बॉलीवुड से लेकर नेताओं को भी कोरोना निगल रहा है। ऐसे में मोहब्बत और बगावत की शायरी से युवाओं के दिल को जीतने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी कल रात कोरोना की चपेट में आ गए थे।
इसके बाद आनन-फानन में उनको मध्य प्रदेश के इंदौर में अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था लेकिन मंगलवार की शाम को उनकी सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक उनको दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उनकी जान चली गई। राहत इंदौरी एक ऐसे शायर थे जो भारत ही नहीं विदेशों में अपनी पहुंच रखते थे।
लॉकडाउन से पहले तक राहत इंदौरी कई मुशायरों में शायरी करते रहे। उनके द्वारा कही गई शायरी आज भी युवाओं पर राज करती है। इतिहास में उनकी शायरी एक अलग स्थान रखती है।
राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से सरकारों को घेरा है और बॉलीवुड में उनकी धमक देखने को मिल चुकी है। दरअसल कई फिल्मों राहत ने गाने भी लिखा है। आज जब राहत हमारे बीच नहीं है तो उनके द्वारा कई शेर आज लोगों को फिर से याद आ रहे हैं।
1. एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
2. बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए
3. वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
4. अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
5. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
6. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
7. दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया
8. मैं जानता हूं दुश्मन भी कम नहीं,
लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है
9. ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं
10. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
11. ये ज़िंदगी जो मुझे क़र्ज़-दार करती रही
कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूँ
12. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
13. सितारों आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूँ मैं
14. दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
15. नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
16. आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
17. मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमां लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो
18. ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं
19. अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे
20. लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूं हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं
21. मैं ताज हूं तो ताज को सर पर सजाएँ लोग
मैं ख़ाक हूं तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए
22. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहाँ पे ढूँढ रहे हैं जहां नहीं हूँ मैं