जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. किसान आन्दोलन को लेकर विदेशी सेलीब्रिटीज़ की प्रतिक्रियाओं को देश में जहाँ आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मानकर निंदा का बाज़ार गर्म है और भारतीय सेलीब्रिटीज़ की तरफ से जवाबी ट्वीट कराये जा रहे हैं वहीं ब्रिटेन की संसद (हाउस ऑफ़ कामन्स) में भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन और प्रेस की आज़ादी के मुद्दे पर चर्चा का फैसला लिया गया है.
ब्रिटेन की संसद ने एक लाख दस हज़ार हस्ताक्षरों वाली ऑनलाइन याचिका को देखते हुए यह फैसला किया है. पश्चिमी लन्दन से कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसद बोरिस जॉनसन ने भी इस ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किये हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे लोकतान्त्रिक देश का आंतरिक मामला बताते हुए अधूरी जानकारी पर आधारित एक गैर ज़रूरी कदम करार दिया है. नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कृषि कानूनों को संसद से पास सुधारवादी क़ानून करार दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि देश के कुछ हिस्सों में किसानों के बहुत छोटे से वर्ग को बिल के सम्बन्ध में कुछ आपत्तियां हैं.
लन्दन में ब्रिटिश सरकार के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मीडिया की आज़ादी बेहद ज़रूरी है. पत्रकारों को आज़ादी से काम करने पर गिरफ्तारी का डर या फिर हिंसा के बगैर अधिकारियों को ज़िम्मेदारी का अहसास अगर नहीं है तो फिर मामले पर विचार ज़रूरी हो जाता है.
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ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि लोकतांत्रिक देशों में प्रेस की आज़ादी बहुत महत्वपूर्ण होती है. भारत के मामले में किसान आन्दोलन का मुद्दा उठाने वाले पत्रकारों के साथ जो व्यवहार हुआ उसने लोकतान्त्रिक अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.