न्यूज डेस्क
भारत ने दो नवंबर को अपना राजनीतिक मानचित्र जारी किया था जिस पर नेपाल ने आपत्ति जतायी थी। नेपाल सरकार का कहना था कि देश के सुदूर पश्चिमी इलाके स्थित कालापानी नेपाल की सीमा में है। नेपाल सरकार स्पष्ट है कि कालापानी का इलाका उसकी सीमा में आता है।
अब इसी कड़ी में 17 नवंबर को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत से कालापानी इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को कहा। ओली ने कहा, कोई भी नक्शा छाप लेता है। बात इसमें सुधार की नहीं, अतिक्रमण की है। नेपाल दूसरों की जमीन पर एक इंच अतिक्रमण नहीं करेगा और अपने क्षेत्र का एक इंच हिस्सा दूसरों को नहीं देगा। हम भारतीय सुरक्षाबलों को कालापानी से हटाएंगे। नेपाल की जमीन पर नेपाली सेना रहेगी।
सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की शाखा, नेशनल यूथ एसोसिएशन की पहली बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ओली ने कहा, हम नेपाल की हर इंच भूमि की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है। देश की सीमा पर दशकों से अतिक्रमण किया गया है, पर एनसीपी की अगुवाई वाली सरकार जल्द अपनी जमीन वापस लेने के प्रयास करेगी। ओली ने कहा, नेपाल अपने कब्जे वाले क्षेत्र से विदेशी सैनिकों को हटाने में सक्षम है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस समस्या का हल आपसी बातचीत से निकाला जा सकता है।
गौरतलब है कि भारत ने 2 नवंबर को नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था जिसमें नवगठित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को उनकी सीमाओं के साथ दिखाया गया है। मानचित्र में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में दिखाया गया है जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान को लद्दाख के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
नेपाल लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेक को भारतीय सीमा में शामिल करने का विरोध कर रहा है। नेपाली कांग्रेस के जुड़े संगठन नेपाल विद्यार्थी संघ ने 17 नवंबर को लैनचौर स्थित भारतीय दूतावास के समक्ष प्रदर्शन किया। इन लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
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