न्यूज़ डेस्क
भारतीय हॉकी टीम के गोल्ड मैन बलबीर सिंह सीनियर आज हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। सांस की बीमारी के चलते उन्हें आठ मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन ने देश में शोक की लहर है। बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली दुखी हैं और उन्होंने ट्वीट कर गोल्ड मैंन को श्रधांजलि दी है।
गौरतलब है कि साल 2018 में अक्षय कुमार की आई फिल्म गोल्ड में उन्होंने बलबीर सिंह का किरदार निभाया था। ये कहानी 1948 के ओलिंपिक पर आधारित थी, जब बलबीर सिंह की कप्तानी में भारत ने अपना पहला हॉकी गोल्ड मेडल जीता था।
उनके निधन पर अक्षय ने ट्वीट कर लिखा, ‘हॉकी लेजेंड बलबीर सिंह जी के निधन की खबर सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ है। मुझे अतीत में उनसे मिलने का मौका मिला था और इस बात के लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। वे बहुत बेहतरीन व्यक्तित्व वाले इंसान थे। उनके परिवार को मेरी दिल से संवेदनाएं।’
Saddened to hear about the demise of hockey legend #BalbirSingh ji. Have had the good fortune of meeting him in the past, such an amazing personality! My heartfelt condolences to his family 🙏🏻 pic.twitter.com/knjOq7VEav
— Akshay Kumar (@akshaykumar) May 25, 2020
उनके निधन पर एक किस्सा याद आता है जो उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द गोल्डन हैट्रिक’ में लिखा है। दरअसल बात मेलबर्न ओलंपिक, 1956 की है। इस टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम जर्मनी को हराकर फाइनल में पहुंची थी। फाइनल में भारतीय टीम का मुकाबला पाकिस्तान से होने वाला था।
उनका पाकिस्तान से ये पहला मुकाबला था अभी तक उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेला था। लेकिन इस पल का इतंजार दोनों देशों के खिलाडी 1948 से कर रहे थे। इस मुकाबले को लेकर भारतीय टीम काफी दबाव महसूस कर रही थी। मैच के एक दिन पहले बलबीर सिंह काफी तनाव में थे।
उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘हमारे कोच हरबैल सिंह ने तय किया कि हर खिलाड़ी समय से सोने चला जाए। उन्होंने मेरे कमरे की लाइट बंद करते हुए बोला कि ईश्वर ने चाहा तो हम जीतेंगे’। लेकिन उस रात में नहीं सो सका। कुछ ही देर बाद मैं टहलने बाहर निकल आया। उस समय काफी रात हो चुकी थी।
इस बीच किसी ने मुझे पीछे से आवाज लगाईं। पीछे मुड़कर देखने पर पता चला की अश्विनी कुमार खड़े थे जोकि परेशान लग रहे थे।
उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और मुझे कमरे में ले आए। वो मुझसे बात करते रहे। फिर उन्होंने मुझे एक गोली देकर लेटने को कहा। इसके बाद मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
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जब आई एमटी अंसारी को छीक
अगली सुबह मैच के लिए हम सब बस में सवार हुए। इस बीच जैसे ही ड्राईवर ने गाड़ी स्टार्ट की ही थी कि भोपाल हॉकी एसोसिएशन के सचिव एम टी अंसारी को छींक आ गई। इसके बाद कुमार ने अंसारी को डाँटा और ड्राइवर से इग्निशन ऑफ़ करने के लिए कहा।
इसके बाद वो मुझे मेरे कमरे में वापस ले गए। उन्होंने बोले कि तुम मुझे अंधविश्वासी कह सकते हो, लेकिन तुम्हें अपना ट्रैक सूट और जूते उतार कर पांच मिनट आराम करना होगा। मैंने वैसा ही किया जैसा अश्विनी कुमार ने कहा था।फिर कुछ देर बाद हम उसी बस से मैदान के लिए रवाना हुए।
दाहिनी उंगली में पलास्टर बांधकर उतरे मैदान में
ये मुकाबला बहुत ही कड़ा था लेकिन भारत के हमलों में तारतम्य नहीं था। बलबीर की दाहिनी उंगली में पलास्टर बंधा हुआ था और वो तीन पेनकिलर इंजेक्शन ले कर मैदान में उतरे थे। अगले दिन खबर छपी, ‘बलबीर पूरी तरह से फ़िट नहीं थे। उनको पाकिस्तान का सेंटर हाफ़ ज़्यादा खुल कर खेलने नहीं दे रहा था’।
लेकिन भारत का डिंफेस अपने अनुरूप खेल रहा था जोकि उस समय काफी फेमस था।पाकिस्तान उसे तोड़ने का पूरा प्रयास कर रहा था लेकिन भारतीय टीम के खिलाडी लोहे की दीवार की तरह खड़े थे। दूसरे हाफ़ में बलबीर ने गोल कर दिया।उन्होंने गुरदेव को गेंद पास की लेकिन वो गेंद को क्रॉस बार के ऊपर मार गए।
दूसरा हाफ़ शुरू होते ही भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला और रणधीर सिंह जेंटिल का दनदनाता हुआ शॉट पाकिस्तानी गोल को भेद गया।
मैच के अंतिम पलों में पाकिस्तान ने गोल उतारने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दी।उनको एक पेनल्टी बुली भी मिली लेकिन भारत के सेंटर हाफ़ अमीर कुमार ने पाकिस्तान के हमीद को गोल नहीं करने दिया। ये पल बलबीर सिंह के लिए ये एक बड़ा क्षण था।
भारतीय टीम तीसरी बार स्वर्ण पदक जीत चुकी थी। स्वर्ण पदक लेने के बाद बलबीर ने एमटी अंसारी को गले लगाया और धीमे से उनके कान में कहा, ‘अंसारी साहब आपकी छींक हमारे लिए अच्छा भाग्य ले कर आई है।