न्यूज़ डेस्क
भारत समेत सभी देशों में कोरोना वायरस का ख़ौफ फैला हुआ है। चीन से निकले इस जानलेवा वायरस के वजह से हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है लेकिन अभी इस वायरस का तोड़ कोई भी देश नही निकाल पाया हैं।
इस बीच दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए उसकी दवा और वैक्सीन पर रिसर्च जारी है। चीन, अमेरिका, रूस जैसे देश इस वायरस की वैक्सीन बनाने के दावे कर रहे है लेकिन अभी तक उनको पूरी सफलता नही मिली है। इस बीच बेंगलुरु के एक डॉक्टर ने कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा किया है।
एचसीजी हॉस्पीटल बेंगलुरु के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विशाल राव कहा कि कुछ दवाओं को मिलाकर नई दवा तैयार हुई है। अभी ये शुरुआती स्थिति में है। इस सप्ताहांत तक इसके पहला सेट तैयार होने की उम्मीद है। हमने समीक्षा के लिए सरकार के पास आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि इंसानी शरीर की कोशिकाओं में वायरस से लड़ने की क्षमता होती है।
कोशिकाओं में इंटरफेरॉन होते हैं, जो वायरस से लड़ने में सहायक होते हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमितों की कोशिकाओं से ये इंटरफेरॉन नहीं निकल पाते, जिससे उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और वायरस का असर बढ़ता चला जाता है।
राव ने दावा किया कि हमारे शोध में हमने पाया कि ये इंटरफेरॉन कोरोना वायरस से लड़ने में भी मददगार हैं। इसके लिए हमने साइटोकाइन्स का एक मिश्रण तैयार किया है, जिसे कोरोना के मरीज के इलाज के लिए उसके शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह कोई वैक्सीन नहीं है और इससे कोरोना से संक्रमित होने से बचा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि संक्रमण विशेषज्ञ, आईसीयू टीम और एक अन्य टीम के साथ मिलकर यह दवा तैयार की है।
दूसरी ओर खबर आ रही है कि कोरोना वायरस के उपचार की दवा विकसित करने के लिए भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ साझा परीक्षण प्रक्रिया में भागीदारी कर सकता है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की महामारी एवं संक्रामक रोग इकाई के प्रमुख डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत शीघ्र ही डब्ल्यूएचओ की दवा परीक्षण प्रक्रिया में शामिल हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने देश में संक्रमण के परीक्षण और इलाज के लिए जुटाए जा रहे संसाधनों के बारे में जानकारी दी।