Sunday - 3 November 2024 - 4:42 PM

ऊर्जा मंत्री ने कहा- फ़िलहाल भारत का नेट ज़ीरो होने का इरादा नहीं

डॉ. सीमा जावेद

वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक साथ काम करने के इरादे से अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) और संयुक्त राष्ट्र की 26वीं क्लाइमेट चेंज कांफेरेंस (COP26) के वर्चुअल नेट शून्य शिखर सम्मेलन में 40 से अधिक देशों के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा और जलवायु नेताओं ने भाग लिया।

सम्मलेन में भारत की नेट जीरो घोषणा के लिए लगाई जा रहे तमाम कयासों को शांत करते हुए भारत के ऊर्जा एवं रिन्यूएबिल एनर्जी मंत्री राज कुमार सिंह ने न सिर्फ साफ़ कर दिया है कि भारत फ़िलहाल नेट ज़ीरो एमिशन के लिए कोई वायदा नहीं करेगा। उलटे  भारत के ऊर्जा मंत्री ने चीन और उस जैसे बड़े उत्सर्जकों पर शब्दों का तीखा हमला भी कर डाला।

गौतलब है कि वर्षों से IEA नेट ज़ीरो का मार्ग रेखांकित करने में अपनी भूमिका को यह कह कर नकारता रहा है कि पेरिस समझौते के अनुकूल इस मार्ग पर चलना ण व्यावहारिक है न संभव है। इस पृष्ठभूमि में यह एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन था क्योंकि IEA दुनिया का सबसे प्रभावशाली मंच है जो दीर्घकालिक ऊर्जा परिदृश्यों को प्रदर्शित करता है। यही कारण है कि एनर्जी ट्रांजीशन के संदर्भ में संभावनाओं को आकार देने में इसकी शक्तिशाली भूमिका है।

लेकिन अब, IEA के मुखिया फातिह बिरोल ने न सिर्फ नेट ज़ीरो के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तंत्र को मजबूत करने के लिए आईईए के पूर्ण समर्थन की पेशकश की है, बल्कि यह भी माना कि दुनिया का अधिकांश हिस्सा जलवायु संकट की गंभीरता और वैश्विक उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लिए तत्काल कार्रवाइयों की गंभीरता पर सहमत है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा, “अब ज़रूरत है अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की क्योंकि कोई भी देश अकेले ऐसा नहीं कर सकता है। यदि हम चाहते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा का संक्रमण जल्दी से हो, तो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ अधिक प्रभावी और बारीकी से काम करना होगा। मैं यूके COP26 प्रेसीडेंसी के प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तंत्र को मजबूत करने के लिए IEA के पूर्ण समर्थन की पेशकश करता हूं, जो हमारे संक्रमण को नेट ज़ीरो तक पहुंचाएगा।”

IEA का ये कहना बड़ी बात है क्योंकि अब तक तो नेट ज़ीरो मार्ग को इसने तरजीह नहीं दी, मगर अब इस शिखर सम्मेलन में आगामी मई में नेट ज़ीरो मार्ग प्रकाशित करने की बात की है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा संस्था, IEA, द्वारा आयोजित वर्चुअल नेट जीरो सम्मेलन में जहाँ ऊर्जा मंत्री ने नेट ज़ीरो के लक्ष्यों को फ़िलहाल असम्भव बताते हुए अमीर देशों से अपने उत्सर्जन में कटौती के लिए आगे आने को कहा।

ऊर्जा मंत्री के बयान ऐसे समय पर आये जब भारत पर ग्लासगो में नवम्बर में होने वाली COP26 सम्मेलन से पहले बड़े पैमाने पर कूटनीतिक दबाव बन रहा था नेट ज़ीरो लक्ष्य घोषित करने का। लेकिन सिंह ने अंततः इस शिखर सम्मेलन में सरकार का पक्ष दुनिया के आगे रख ही दिया ।

सिंह ने नेट ज़ीरो का समर्थन करने वाले चीन के ऊर्जा मंत्री झांग जियानहुआ, अमेरिका के जलवायु दूत जॉन केरी और ईयू के फ्रैंस टिममेन के साथ इस सम्मलेन में पैनल चर्चा के दौरान बिना किसी का नाम लिए कहा, “ऐसे भी देश हैं जिनका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व औसत का चार गुना, पांच गुना, छह गुना, यहाँ तक की 12 गुना है।”

उन्होंने आगे चीन पर तीखा हमला करते हुए कहा, “ये तो हम सुनते आ रहे हैं कि हम उत्सर्जन कम करेंगे, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि उत्सर्जन कब कम होने वाला है? जो हमें सुनाई देता है वो ये है कि 2050 तक या 2060 तक हम कार्बन न्यूट्रल हो जाएंगे, लेकिन 2060 बहुत दूर है। और अगर इसी रफ्तार पर वो एमिशन करते रहे तो दुनिया नहीं बचेगी।” ऊर्जा मंत्री ने आगे साफ़-साफ़ पूछा कि, “अब आप ये बताइए कि आप अगले पांच से दस सालों में क्या करने वाले हैं इस दिशा में क्योंकि दुनिया यही जानना चाहती है।”

IEA द्वारा आयोजित इस  नेट ज़ीरो सम्मेलन की शुरुआत करते हुए, COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने सभी देशों को शुद्ध शून्य दुनिया के लिए प्रतिबद्ध होने को कहा। उन्होंने कहा, “फ़िलहाल इस नेट ज़ीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया जा रहा है। हम एक और दशक सिर्फ विचार-विमर्श में नहीं गँवा सकते।”

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इधर कुछ समय से नेट ज़ीरो के लिए भारतीय योजनाओं पर अटकलें तेज हो गई थीं। बल्कि हाल की रिपोर्टों ने तो इस बात तक का इशारा किया कि मोदी के करीबी सरकारी अधिकारी 2050 या 2047 के लिए शुद्ध शून्य लक्ष्य निर्धारित करने पर विचार कर रहे थे। लेकिन इस सप्ताह की शुरुआत में, सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि भारत के 2050 तक अपने आप को एक शून्य शून्य लक्ष्य में बंधने की संभावना नहीं है। और अब IEA  की #NetZeroSummit में बिजली मंत्री के भाषण ने सभी अटकलें पर विराम लगा दिया।

( लेखिका पर्यावरणविद, स्वतंत्र पत्रकार एवं कम्युनिकेशन विशेषज्ञ हैं )

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