न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के कारण दुनियभर में आलोचनाओं का सामना कर रहा चीन दुनिया की सबसे शक्तिशाली आर्थिक शक्तियों के संगठन में भारत के शामिल होने से बुरी तरह घिरने वाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत चीन के धुर विरोधियों को शामिल करने के लिए इस सम्मेलन को आखिरी वक्त पर सितंबर तक के लिए टाल दिया है। बता दें कि इस संगठन में शामिल सभी सात देश कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित हैं और चीन को कई बार सार्वजनिक रूप से खरीखोटी सुना चुके हैं।
भारत के संबंध कोल्ड वॉर के समय से ही रूस के साथ बेहद प्रगाढ़ रहे हैं और अब पीएम मोदी के मास्टरस्ट्रोक से चीन को चौतरफा घेरने में जुटे डोनाल्ड ट्रंप के लिए भारत का साथ जरूरी हो गया है। ट्रंप यह जानते हैं कि भारत के बिना वह चीन को मात नहीं दे सकते हैं। इसलिए ही अमेरिका ने कई ऐसे स्टेट ऑफ द ऑर्ट हथियारों को भारत को दिया है जो वह जल्दी किसी दूसरे देश को नहीं देता। अमेरिकी सेना भारत के साथ हिंद महासागर में खुफिया सूचनाओं का भी आदान-प्रदान करती हैं। वहीं, हाल केे 3-4 साल में अमेरिका ने भारत के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज को भी बढ़ाया है।
ये भी पढ़े: लॉकडाउन के बाद बॉलीवुड में दिखेंगे ये बदलाव
ये भी पढ़े: क्या शिवपाल की सपा में वापसी होगी या फिर गठबंधन करेंगे
जी-7 में शामिल हैं ये देश
- अमेरिका
- फ्रांस
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- इटली
- जर्मनी
- जापान
जी-7 की बैठक में अमेरिका कोरोना वायरस और साउथ चाइना सी मुद्दे पर चीन के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के लिए अपने गुट को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कई बार सार्वजनिक रूप से चीन की आलोचना कर चुके हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप तो कोरोना वायरस को वुहान वायरस और चीनी वायरस का नाम भी दे चुके हैं।
डोनाल्ड ट्रंप जी-7 में भारत, रूस, साउथ कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करना चाहते हैं। इन देशों के चीन के साथ संबंध अच्छे नहीं है। बता दें कि भारत के साथ जहां लद्दाख सीमा पर तनातनी चल रही है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के साथ भी चीन के संबंध सही नहीं है। चीन ने हाल में ही ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले जौ और मांस पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा चीन की सरकारी मीडिया ऑस्ट्रेलिया को ‘अमेरिका का कुत्ता’ तक की संज्ञा दे चुकी है।
ये भी पढ़े:देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या हुई 1,81,827
ये भी पढ़े: पीएम मोदी को इस पर भी ध्यान देना होगा कि कहीं विपक्ष अर्थहीन न हो जाए
विस्तारवादी नीतियों को लेकर कुख्यात चीन अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए कुछ और ही साजिश रच रहा है। मई के शुरुआत में ड्रैगन ने न केवल भारत से लगती लद्दाख सीमा पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं बल्कि भारतीय क्षेत्र में हो रहे सड़क निर्माण को लेकर भी आपत्ति जताई है। प्रखर राष्ट्रवाद की आड़ में चीन अपने नागरिकों का ध्यान कोरोना वायरस की विभीषिका से हटना चाहता है।
दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठन शंघाई सहयोग संगठन की रूस में प्रस्ताविक बैठक में चीन को लेकर तनाव देखने को मिल सकता है। हालांकि रूस और भारत दोनों सीधे तौर पर चीन से भिड़ना नहीं चाहेंगे। बता दें कि 2020 में एससीओ समिट का आयोजन रूस में होना है जिसकी अध्यक्षता भारत करेगा। 2017 से इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी बहुत मजबूत हुई है।