जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले साल 15/16 जून की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में भारत सरकार ने इन शहीद हुए सैनिकों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया है। सरकार ने इस संघर्ष में मारे जाने वाले 16वीं बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया है।
कर्नल बाबू के साथ भारत सरकार ने 16वीं बिहार रेजीमेंट के नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन को वीर चक्र (मरणोपरांत), 81 फील्ड के हवलदार के पिलानी को वीर चक्र, 3 मीडियम के हवलदार तेजेंदर सिंह को वीर चक्र, 16 बिहार के नायक दीपक सिंह को वीर चक्र (मरणोपरांत) और 3 पंजाब के सिपाही गुरतेज सिंह को वीर चक्र (मरोपरांत) देने की घोषणा की है।
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इसके साथ ही 4 पैरा (एसएफ) के सूबेदार संजीव कुमार को कीर्ति चक्र (मरणोपरांत), 21 आरआर के मेजर अनुज सूद को शौर्य चक्र (मरणोपरांत), 6 असम राइफल्स के राइफलमैन प्रणब ज्योति दास और 4 पैरा (एसएफ) के पैराट्रूपर सोनम तेसरिंग तमांग को शौर्य चक्र देने की घोषणा की गई है।
इस संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। इस घटना के बाद से भारत-चीन के बीच सीमावर्ती इलाकों में तनाव बना हुआ है।
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फिलहाल भारत ने पहली बार बताया है कि आखिर उस रात गलवान में क्या हुआ था? इससे पहले तक भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प को लेकर बहुत कम आधिकारिक जानकारी उपलब्ध थी।
For conspicuous bravery in face of enemy, exemplary leadership, astute professionalism & supreme sacrifice in the line of duty, Colonel Bikumalla SantoshBabu, 16th BATTALION, THE BIHAR REGIMENT is awarded the “MAHA VIR CHAKRA (POSTHUMOUS)”. pic.twitter.com/v1SL4DwwS6
— PRO Udhampur, Ministry of Defence (@proudhampur) January 25, 2021
अब कर्नल बाबू को दिए गए महावीर चक्र के साइटेशन में उस घटना का भी विवरण है, जब कर्नल बाबू ने अपनी अंतिम सांस तक अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया।
In first official account of Galwan valley clash of last year, Gov of India in Col Santosh Babu’s MVC (posthumous) citation says 16 BIHAR CO was deployed in Galwan Valley (Eastern Ladakh) during Operation Snow Leopard & was tasked to establish an Observation Post in face of enemy
— ANI (@ANI) January 25, 2021
महावीर चक्र के साइटेशन में बताया गया है, “कर्नल संतोष बाबू को 15 जून, 2020 को अपनी टीम 16वीं बिहार रेजिमेंट का नेतृत्व करते हुए ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के तहत दुश्मन के सामने ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अपनी टुकड़ी को समझाते हुए और उन्हें संगठित करते हुए कर्नल बाबू ने ये काम पूरा किया, लेकिन अपने पोस्ट को बचाते हुए उन्हें दुश्मन की ओर से भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दुश्मन ने जानलेवा और नुकीले हथियारों एवं ऊंचाई से पत्थरबाजी की। दुश्मन सैनिकों की हिंसक और आक्रामक कार्रवाई से प्रभावित हुए बिना कर्नल बाबू सर्विस को अपने से पहले स्थान देने की सच्ची भावना का उदाहरण देते हुए भारतीय सैनिकों को पीछे धकेले जाने का विरोध करते रहे। इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन अपनी अंतिम सांस तक अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते रहे।”
भारत सरकार की ओर से चक्र सिरीज के वीरता पुरस्कार दिए जाने को सुरक्षा विशेषज्ञों ने काफी गंभीरता से लिया है, क्योंकि महावीर चक्र युद्ध काल में दिए जाने वाले वीरता पुरस्कारों में शामिल है। इससे पहले ये अवॉर्ड 1999 में दिए गए थे, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था।
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रक्षा और रणनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार नितिन गोखले ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “अगर कर्नल संतोष बाबू, जो पिछले साल जून के महीने में गलवान घाटी में 19 अन्य सैनिकों के साथ मारे गए थे, को महावीर चक्र (दूसरा सबसे बड़ा वीरता सम्मान) मिलता है, तो ये स्पष्ट है कि भारत लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध को युद्ध की तरह ले रहा है। इससे पहले शौर्य दिखाने के लिए चक्र सिरीज के अवॉर्ड कारगिल युद्ध के समय 1999 में दिए गए थे।”