न्यूज डेस्क
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में भारत 117 देशों में से 102 वें स्थान पर है, भारत की इस रैंकिंग में लगातार नीचे खिसकना जारी है। 2014 में, भारत 77 देशों में से 55 वें स्थान पर था। यह दक्षिण एशियाई देशों का सबसे निचला पायदान है। बाकी दक्षिण एशियाई देश 66वें से 94 स्थान के बीच हैं।
भारत ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका) के बाकी देशों से बहुत पीछे है। ब्रिक्स का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश दक्षिण अफ्रीका 59वें स्थान पर है।ग्लोबल हंगर इंडेक्स में नीचे होने का मतलब यह है कि भारत में लोगों को भर पेट खाना नहीं मिल पा रहा हैं और बच्चे कुपोषित हैं।
वार्षिक सूचकांक वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तरों पर भूख को मापने और ट्रैक करने और भूख का मुकाबला करने में प्रगति और असफलताओं का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारत अब दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान (94), बांग्लादेश (88), नेपाल (73) और श्रीलंका (66) से भी नीचे स्थान पर है।
2019 जीएचआई रिपोर्ट ने भारत में मौजूदा वितरण को लेकर चिंता जताई है। Wealthungerhilf and Concern Worldwide द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन 45 देशों में शामिल है, जिनमें भूख के कारण गंभीर संकट पैदा हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत में, छह से 23 महीने की उम्र के सभी बच्चों में से केवल 9.6 फीसदी को न्यूनतम स्वीकार्य आहार दिया जाता है। 2015-2016 के अनुसार, 90 फीसदी भारतीय परिवारों ने एक बेहतर पेयजल स्रोत का उपयोग किया, जबकि 39 फीसदी घरों में स्वच्छता की सुविधा नहीं थी।
भूख की स्थिति के आधार पर देशों को 0 से 100 अंक दिए गए और जीएचआई तैयार किया गया। इसमें 0 अंक सर्वोत्तम यानी भूख की स्थिति नहीं होना है। 10 से कम अंक का मतलब है कि देश में भूख की बेहद कम समस्या है। इसी तरह, 20 से 34.9 अंक का मतलब भूख का गंभीर संकट, 35 से 49.9 अंक का मतलब हालत चुनौतीपूर्ण है और 50 या इससे ज्यादा अंक का मतलब है कि वहां भूख की बेहद भयावह स्थिति है।
दूसरी ओर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर को ग्रामीण भारत को ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित किए जाने की घोषणा के विपरीत, रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में खुले में शौच अभी भी जारी है।
कहा गया है कि, ‘2014 में प्रधान मंत्री ने खुले में शौच को समाप्त करने के लिए ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुआत की और यह सुनिश्चित किया कि सभी घरों में शौचालय होंगे। हालांकि, नए शौचालय निर्माण के साथ, अभी भी खुले में शौच किया जा रहा है।’
रिपोर्ट में कहा गया कि यह स्थिति जनसंख्या के स्वास्थ्य को खतरे में डालती है और फलस्वरूप बच्चों की वृद्धि और विकास क्षमता से भी समझौता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर को कहा था कि भारत के गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने यह घोषणा गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में 20,000 से अधिक ग्राम प्रधानों की उपस्थिति में की।
रिपोर्ट में भूख से लड़ने में दक्षिण एशिया में दो देशों नेपाल और बांग्लादेश के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत से अलग, दक्षिण एशिया के दो देशों ने बाल पोषण में महत्वपूर्ण प्रगति की है और उनके अनुभव शिक्षाप्रद हैं।’
बता दें कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स चार पैमानों पर देशों को परखता है। ये चार पैमाने- कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, चाइल्ड वेस्टिंग और बच्चों की वृद्धि में रोक हैं।