जुबिली न्यूज़ डेस्क
भारत और चीन के बीच लद्दाख में मई से जारी विवाद अब थमता हुआ नज़र आ रहा है। कई राउंड की बातचीत, सेना-कूटनीति के ज़ोर के बाद चीन की सेना अब लद्दाख में कुछ हद तक पीछे हटी है। इसी नरमी के साथ अब बुधवार को दोनों सेनाओं के बीच एक और कमांडर लेवल की बातचीत हो सकती है, ताकि विवाद को खत्म किया जा सके।
इससे पहले 6 जून को भी दोनों देशों के बीच बैठक हुई थी। तब माना गया था कि वहां पर गतिरोध लोकल कमांडर या हाईएस्ट लेवल (मेजर जनरल लेवल) मीटिंग से दूर नहीं हो पाएगा।
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को कहां कि गलवां घाटी के झड़प वाली जगहों (पैट्रोलिंग पॉइंट 154 और 15) से ‘सीमित संख्या में दोनों तरफ से सैनिकों ने कदम वापस लिए’ हैं। इसके अलावा पिछले दो दिन में गोगरा से भी सैनिक पीछे हटे हैं। यह साफ संकेत है कि हिमालयन क्षेत्र में अब वाकई में तनाव खत्म होने जा रहा है। इन साइट्स पर दोनों देशों की सेनाएं युद्ध के साजोसामान के साथ आमने-सामने थीं। दोनों ‘करीब एक से दो किलोमीटर’ पीछे हटी हैं।
एक सूत्र ने बताया कि ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इन इलाकों से करीब 20 गाड़ियां वापस बुलाई हैं। हालांकि ये पर्याप्त नहीं है क्योंकि वे पहले आए थे। उन्हें और पीछे हटाना होगा।’ चीनी सैनिक LAC पार करते हुए 3 किलोमीटर तक घुस आए थे। साथ ही अपने इलाकों में टैंक और आर्टिलरी गन्स के साथ 5 से 7 हजार सैनिक तैनात कर दिए थे। भारत ने थोड़ी देर से ही सही, मगर चीन के जवाब में उतनी ही स्ट्रेन्थ के साथ खूंटा गाड़ दिया है।
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बता दें कि सेनाओं के बीच उस समय गतिरोध शुरू हुआ जब भारत द्वारा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी के साथ-साथ पेगोंग झील के आसपास फिंगर इलाके में महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण शुरू किया गया और चीन ने इसका विरोध किया।
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब और भी खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई।
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तब दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ”अलग” हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।
गौरतलब है कि कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है।