जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भले ही योगी की सरकार हो लेकिन सपा ने उसे गहरा जख्म दिया है। दरअसल घोसी हुए उपचुनाव में सपा बाजी मार ली है।
हालांकि बीजेपी ने ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं की थी क्योंकि वहां पर लगातार बीजेपी के बड़े नेता दारा सिंह के लिए वोट मांगे थे लेकिन जनता ने दारा सिंह के बजाये साइकिल पर भरोसा जताया है। घोसी उप चुनाव ने एक बार फिर सपा की साइकिल को नई राह दिखाने का जरूर काम किया है।
वहीं शिवपाल यादव की मेहनत भी रंग लाती हुई नजर आई है। शिवपाल यादव जब से सपा में फिर से शामिल हुए तब से वो पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए है। इतना ही नहीं जमीनी स्तर पर सपा के वोट बैंक को फिर से हासिल करने के लिए शिवपाल यादव लगातार जनता के बीच जाते हुए नजर आये।
शिवपाल ने क्या-क्या कहा?
इस बीच ये खबर भी तेजी से वायरल भी हुई कि शिवपाल यादव अपने भतीजे से नाराज चल रहे हैं लेकिन घोसी की जीत ने शायद अब चाचा-भतीजे के बीच की दूरी को मिटाने का जरूर काम किया है। वहीं शिवपाल ने इस जीत पर कहा है कि ‘अखिलेश जिंदाबाद’।
शिवपाल यादव के इस ट्वीट से एक बात साफ हो गई है कि अब चाचा और भतीजे में किसी तरह का कोई टकराव नहीं है। शिवपाल सिंह यादव ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद, अखिलेश यादव जिंदाबाद.’ इसके साथ ही शिवपाल यादव ने एक तस्वीर भी साझा कि है जिसमें चाचा-भतीजा दोनों हंसते हुए नजर आ रहे हैं. बता दें कि एक वक्त ऐसा भी था जब शिवपाल ने अखिलेश यादव से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली थी। हालांकि मुलायम के निधन के बाद शिवपाल यादव फिर से सपा में शामिल हो गए थे।
इसके बाद से वो लगातार जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं ताकि सपा का वोट बैंक मजबूत हो सके। दूसरी ओर अखिलेश यादव भी इस जीत से काफी राहत महसूस कर रहे हैं और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट भी किया.अखिलेश यादव ने सुधीर सिंह को बधाई दी।
अखिलेश ने लिखा कि घोसी की जनता,सुधाकर सिंह को अनंत बधाई है। घोसी के सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं. घोसी की जनता की बड़ी सोच की जीत हुई है।
घोसी ने इंडिया गठबंधन प्रत्याशी को जिताना है। ये सकारात्मक राजनीति की जीत है। सांप्रदायिक नकारात्मक राजनीति की हार है। समाज को तोड़ने वाली राजनीति को मुंहतोड़ जवाब है।
अखिलेश यादव ने क्या-क्या कहा?
- घोसी की जनता और विजयी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को अनंत बधाई. घोसी के सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं।
- घोसी में जनता की बड़ी सोच की जीत हुई है।
- घोसी ने सिर्फ सपा के नहीं बल्कि ‘इंडिया गठबंधन’ के प्रत्याशी को जिताया है और अब यही आने वाले कल का भी परिणाम होगा।
- ये सकारात्मक राजनीति की जीत है और साम्प्रदायिक नकारात्मक राजनीति की हार है।
- ये दलीय संकीर्ण विचारधारा और जाति बंधन से ऊपर उठकर, उस प्रत्याशी की जीत है जिसके काम करने की आशा है और नाकाम प्रत्याशी की पराजय है।
- ये बीजेपी की तोड़फोड़ और समाज को बांटने वाली नकारात्मक राजनीति की मुंहतोड़ हार है.
- ये झूठे प्रचार और जुमलाजीवियों की पराजय है.
- ये वाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही सामाजिक घृणा, भ्रामक सूचनाओं और राजनीतिक मिथ्या की पराजय है.
- ये भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों की भी जीत है.
- ये गिरगिटी प्रत्याशियों को भी एक संदेश है कि जनता उनके असली रंग पहचान गई है.
- ये दलबदल-घरबदल की सियासत करनेवालों की हार है.
- ये बीजेपी के अहंकार और घमंड को चकनाचूर करनेवाला नतीजा है.
- ये उस अच्छी सोच वाले सर्वसमाज और पीडीए के एक साथ आने की जीत है, जो समाज के हर वर्ग को बराबर का हक देकर हर किसी की तरक्की को मकसद मानकर चलती है।
- ये सामाजिक न्याय के लिए जातिगत जनगणना की मांग करने वाले हर किसी की जीत है।
- यूपी एक बार फिर से देश में सत्ता के परिवर्तन का अगुआ बनेगा।
भारत ने ‘इंडिया’ को जिताने की शुरुआत कर दी है। - ये देश के भविष्य की जीत है।
- ये एक ऐसा अनोखा चुनाव है जिसमें जीते तो एक विधायक हैं पर हारे कई दलों के भावी मंत्री हैं।
- ‘इंडिया’ टीम है और ‘पीडीए’ रणनीति: जीत का हमारा ये नया फॉर्मूला सफल साबित हुआ है।
बीजेपी पर दबाव बनेगा
कुल मिलाकर सपा की इस जीत से आने वाले दिनों में बीजेपी पर दबाव बनेगा क्योंकि सपा को फिर से पुरानी ताकत मिलती हुई नजर आ रही है।
मुलायम के जाने के बाद शिवपाल यादव अखिलेश यादव के साथ मिलकर फिर से पार्टी को मजबूत कर रहे हैं। इस वजह से लोकसभा चुनाव में सपा को बेहतर स्थिति में पहुंचने का घोसी उपचुनाव कर सकता है। अखिलेश यादव अब फिर से शिवपाल यादव के साथ अपनी जोड़ी बना रहे हैं।
अखिलेश-शिवपाल की जोड़ी सपा को फिर से सत्ता के नजदीक पहुंचा सकती है। हालांकि अभी विधान सभा चुनाव काफी दूर है लेकिन लोकसभा चुनाव में खासकर यूपी में सपा का दबदबा जरूर देखने को मिल सकता है।
अगर अखिलेश यादव जिस नये समीकरण पर चल रहे हैं वो भी रंग लाता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए या फिर इंडिया में से किसको जनता चुनती है।