न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। केंद्रीय वित्तमंत्री ने 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तो घोषित कर दिया, राज्य सरकारों ने गरीबों- किसानों के बैंक खातों में सहायता राशि तो भेज दी, लेकिन इसका साइड इफेक्ट क्या होगा ये शायद आपको नहीं पता होगा?
इसका साइड इफेक्ट अब देश के लाखों गांव में दिखने लगा है। बैंकों के बाहर जो लंबी लाइन की कतार देखने को मिल रही है, ऐसी तो नोटबंदी में भी नहीं देखने को मिली थी, हां ऐसी लाइन बड़े महानगरों में जरूर दिखी थी।
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कुल मिलाकर ये लॉक डाउन का मजाक बन गया है और कोरोना की महामारी अब नोटों के जरिये घर- घर तक पहुंचने के लिए बेताब नजर आ रही है। मजे की बात ये है कि पुलिस की सख्ती और मुख्यमंत्री योगी के दावे आप तस्वीरों से देख सकते है कितने सही साबित होते नजर आ रहे है।
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कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लॉकडाउन और सरकार की सहायता राशि की घोषणा के बाद ग्रामीण क्षेत्र में बैंकों में भीड़ उमड़ी। हर रोज यूपी के लगभग सभी ग्रामीण बैंकों की शाखा में काफी भीड़ देखी जा रही है, हालांकि बैंक कर्मी वायरस को देखते हुए सर्तकता भी कर रहे है। लेकिन नोटों को छूने से से ये संक्रमण कभी भी विकराल रूप ले सकता है।
कोरोना को लेकर बैंकों में भी खासी सतर्कता व एहतियात दिखाई दे रही है। बैंक अधिकारियों के अनुसार एक समय में सिर्फ 5 ग्राहकों को प्रवेश दिया जा रहा है। इसके बाद बैंक के बाहर एक मीटर की दूरी पर रहने को कहा जा रहा। वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में बैंकों में सन्नाटा पसरा हुआ देखा जा सकता है।
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उधर एटीएम सेवाओं को लेकर भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, समेत सभी बैंक अधिकारियों का दावा है कि एटीएम सेवाओं की पूरी निगरानी की जा रही है। समय- समय पर एटीएम सैनिटाइज भी कराया जा रहा है।
वहीं जिला प्रशासन और पुलिस को सोशल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने का जिम्मा दिया गया है, जिसकी खुलेआम की धाज्जियाँ उड़ाई जा रही है। हालांकि पुलिस की नामौजूदगी के बावजूद ग्रामीण केवल इतना समझ रहे है कि उन्हें मुंह ढक कर रखना है। ग्रामीणों को इस नासमझी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, जिसका उन्हें अंदाजा ही नहीं है।
बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री दिलीप चौहान ने बताया कि शहरी क्षेत्र की बैंकिंग सेवाओं में योगदान का असर देखने को मिल रहा है। मगर ग्रामीण क्षेत्र में लोग रोजाना बैंक बैलेंस पूछने के लिए आ रहे हैं। कई लोग तो पासबुक एंट्री करवाने आ रहे है, जिससे कोरोना फैलने का खतरा ज्यादा है। मेरा मानना है प्रधानमंत्री की अपील का पालन हो और बेवजह लोग घरों से न निकले।
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री पवन कुमार का कहना है कि नोटों से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है, इसलिए ई-पेमेंट को बढ़ावा मिलना चाहिए। बैंक स्टाफ को पूरी छूट मिलने के बाद पूरा टाइम देने और सभी स्टाफ को वापस बैंक में आता देख पब्लिक पैनिक हो गयी है।
AIBOC के मीडिया संयोजक सौरभ श्रीवास्तव की माने तो करेंसी से वायरस फैलने का खतरा अधिक है। जिस तरह से बैंकों को रियायतें दी गयी है, उससे भीड़ बढ़ रही है, जिससे नोट के माध्यम से कोरोना एक बड़ी महामारी का रूप ले सकता है। सरकार की नीतियों की वजह से हजारों बैंक कर्मियों के साथ- साथ लाखों लोगों में ये वायरस अपनी जगह बना सकता है।
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