न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के बीच आयकर विभाग ने बड़ी कार्यवाही करते हुए देश के करीब 50 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की है।
आयकर विभाग ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ समेत कमलनाथ के भांजे रातुल पुरी, अमीरा ग्रुप और मोजेर बेयर के ठिकाने पर छापे मारी की है।
खबरों की माने तो आयकर विभाग ने प्रवीण कक्कड़ के घर पर रात 3 बजे छापा मारा। कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के विजयनगर स्थित घर पर रात 3 बजे आयकर विभाग ने छापेमारी की।
कक्कड़ पर आय से अधिक संपत्ति का मामला बताया जा रहा है। छापेमारी की कार्यवाही अभी जारी है। छापे के बारे में लोगों को सुबह पता चला जब उनके इंदौर स्थित घर के बाहर अधिकारियों की भीड़ देखी गई। मौके पर करीब 15 अफसर सर्चिंग के काम में लगे हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग के 300 अफसर की टीम देश भर के 50 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इनमें से भोपाल, इंदौर, गोवा के अलावा दिल्ली में 35 लोकेशन पर छापेमारी की है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भांजे रातुल पुरी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हुए हैं। रातुल पुरी का नाम राजीव सक्सेना से पूछताछ के दौरान छिपा लिया गया था। राजीव सक्सेना का दुबई से अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मामले में प्रत्यर्पण हुआ था।
कमलनाथ के सीएम बनते ही भूपेंद्र गुप्ता ओएसडी बने थे, जिनको हटाकर हाल ही में प्रवीण कक्कड़ को ओएसडी बनाया गया है। कक्कड़ मध्यप्रदेश पुलिस में अधिकारी थे। सालों पहले कक्कड़ ने वीआरएस ले लिया। उन्हें झाबुआ के सांसद और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का करीबी माना जाता है।
राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा चुका
कक्कड़ को सराहनीय सेवाओं हेतु राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व पुलिस अधिकारी कक्कड़ अपनी कार्यकुशलता के लिए पहचाने जाते हैं। कक्कड़ ने साल 2004 से 2011 तक भारत सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में भी काम किया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ अपनी कार्यशैली से मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र भी हैं। सीएम कमलनाथ ने उन्हें स्वेच्छा अनुदान राशि आवेदनों का निराकरण का काम सौंप रखा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय को मंत्रियों, कांग्रेस कार्यालयों, दोनों दलों के सांसदों, विधायकों द्वारा सिफारिश किए व अन्य स्तर पर उपचार खर्च राशि स्वीकृति वाले जो आवेदन प्राप्त होते हैं, वो सारे आवेदन जांच पश्चात मंजूरी के लिए कक्कड़ को भेजे जाते हैं।