Tuesday - 29 October 2024 - 10:05 PM

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) का समावेश

प्रो. अशोक कुमार

भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस), ज्ञान का एक विशाल भंडार है जो सदियों से विकसित हुआ है। यह दर्शन, धर्म, विज्ञान, कला, चिकित्सा, ज्योतिष, वास्तुकला, कृषि और शासन सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करता है।

आईकेएस को अक्सर “जीवन का विज्ञान” कहा जाता है क्योंकि यह व्यावहारिक ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करता है जो व्यक्तियों और समुदायों को जीवन के सभी पहलुओं में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।

हमारे प्राचीन विद्वानों और ऋषियों ने दुनिया को महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और यह आवश्यक है कि हम इस ज्ञान को समकालीन शिक्षा में समाहित करें।

1. भारतीय ज्ञान की नींव

भारतीय ज्ञान प्रणाली वेदों, उपनिषदों, पुराणों और महाभारत एवं रामायण जैसे महाकाव्यों की नींव पर आधारित है। ये ग्रंथ केवल साहित्यिक कृतियाँ नहीं हैं, बल्कि ज्ञान और बुद्धि के भंडार हैं। ये ग्रंथ जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि तत्वमीमांसा, नैतिकता और शासन पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

2. विज्ञान और गणित में योगदान

भारत का विज्ञान और गणित में योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। शून्य की अवधारणा, दशमलव प्रणाली और बीजगणित, ज्यामिति और खगोलशास्त्र में महत्वपूर्ण प्रगति प्राचीन भारत में ही हुई थी। गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट, भास्कर और ब्रह्मगुप्त ने आधुनिक गणित की नींव रखी। चिकित्सा के क्षेत्र में, आयुर्वेद प्रणाली, जैसा कि चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में वर्णित है, विश्वव्यापी रूप से समग्र स्वास्थ्य प्रथाओं को प्रभावित करती है।

3. दार्शनिक परंपराएं

भारतीय दर्शन विचारों का एक समृद्ध ताना-बाना प्रस्तुत करता है, चार्वाक के भौतिकवादी स्कूल से लेकर वेदांत की आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि तक। सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत जैसे दर्शन के स्कूलों ने वास्तविकता, ज्ञान और अस्तित्व की व्यापक समझ में योगदान दिया है। ये दार्शनिक परंपराएं ज्ञान की खोज, आत्म-साक्षात्कार और नैतिक जीवन पर बल देती हैं।

4. कला और साहित्य

भारत का कला और साहित्य में योगदान भी उतना ही उल्लेखनीय है। भरतनाट्यम और कथक जैसे शास्त्रीय नृत्य रूप और हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत की परंपराएं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं। कालिदास, तुलसीदास और रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे साहित्यिक महानुभावों ने अपनी गहन कृतियों के माध्यम से विश्व साहित्य को समृद्ध किया है।

5. आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षाएं भारतीय आध्यात्मिकता और नैतिक शिक्षाएं, जैसे भगवद गीता में पाई जाती हैं, हमें कर्तव्य, धर्म और सभी जीवन की पारस्परिकता के महत्व को सिखाती हैं। ये शिक्षाएं सार्वभौमिक अपील और प्रासंगिकता रखती हैं, करुणा, अहिंसा और सभी प्राणियों के प्रति सम्मान जैसे मूल्यों को बढ़ावा देती हैं।

6. आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान का समावेश

शिक्षकों के रूप में, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस समृद्ध विरासत को अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रथाओं में शामिल करें। नई शिक्षा नीति 2020 अकादमिक ढांचे में भारतीय ज्ञान प्रणालियों के समावेश पर जोर देती है, जिससे छात्र न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत से अवगत हो सकें, बल्कि वैश्विक ज्ञान में योगदान देने के लिए सुसज्जित हो सकें।

7. ज्ञान के संरक्षण और प्रचार में महिलाओं की भूमिका

ज्ञान के संरक्षण और प्रचार में महिलाओं ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्राचीन विदुषियों जैसे गार्गी और मैत्रेयी से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में समकालीन नेताओं तक, महिलाओं ने हमारे समाज के बौद्धिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महिलाओं को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना हमारे राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।

भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) का समावेश

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारत में शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाती है। इसका एक प्रमुख लक्ष्य भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शिक्षा में एकीकृत करना है।
यह कैसे किया जाएगा?

1. पाठ्यक्रम में आईकेएस

• प्राचीन भारतीय दर्शन, वेद, उपनिषद, महाकाव्यों, कला और वास्तुकला जैसे विषयों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
• छात्रों को योग, ध्यान, भारतीय भाषाओं, शास्त्रीय संगीत और नृत्य जैसी आईकेएस से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

2. शिक्षण विधियों में बदलाव

• रटने और परीक्षाओं पर ध्यान देने के बजाय, अनुभवजन्य शिक्षा, महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मकता पर अधिक जोर दिया जाएगा।शिक्षक छात्रों को विभिन्न दृष्टिकोणों का पता लगाने और अपनी समझ विकसित करने में मदद करेंगे।

3. शिक्षकों का प्रशिक्षण

• शिक्षकों को आईकेएस के बारे में जानकारी प्रदान करने और इसे प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
• उन्हें विभिन्न शिक्षण विधियों और मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

4. बुनियादी ढांचे का विकास

• पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और अन्य संसाधनों को विकसित किया जाएगा ताकि छात्रों को आईकेएस का अध्ययन करने और उसका अभ्यास करने में मदद मिल सके।
• आईकेएस अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए केंद्रों की स्थापना की जाएगी।

NEP 2020 में आईकेएस को लागू करने से कई लाभ होने की उम्मीद है, जिनमें शामिल हैं

• समग्र शिक्षा: छात्रों को ज्ञान और कौशल की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगा जो उन्हें जीवन में सफल होने के लिए तैयार करेगा।
• मूल्यों का विकास: छात्रों को नैतिकता, करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मूल्यों को विकसित करने में मदद करेगा।
• सांस्कृतिक पहचान: छात्रों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने और उनकी पहचान बनाने में मदद करेगा।
• 21वीं सदी की कौशल: छात्रों को रचनात्मक सोच, महत्वपूर्ण सोच और समस्या समाधान जैसे कौशल विकसित करने में मदद करेगा जो 21वीं सदी में सफल होने के लिए आवश्यक हैं।
हालांकि, NEP 2020 में आईकेएस को लागू करने की कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
• शिक्षकों का प्रशिक्षण: आईकेएस को प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए शिक्षकों को पर्याप्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
• पाठ्यक्रम सामग्री: आईकेएस पर आधारित गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम सामग्री विकसित करने की आवश्यकता होगी।
• मूल्यांकन: आईकेएस आधारित शिक्षा का मूल्यांकन करने के लिए नए तरीकों की आवश्यकता होगी।
• बुनियादी ढांचा: आईकेएस अध्ययन और अभ्यास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष

भारतीय ज्ञान प्रणाली ज्ञान और समझ का एक विशाल भंडार है जो आधुनिक दुनिया के लिए प्रासंगिक और उपयोगी है। आईकेएस के सिद्धांतों और प्रथाओं को अपनाकर, हम अधिक टिकाऊ, न्यायपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईकेएस एक गतिशील और विकसित हो रही प्रणाली है। समय के साथ इसमें नए विचारों और अवधारणाओं को शामिल किया गया है।

लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय हैं

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com