हेमेंद्र त्रिपाठी
यूपी में इन दिनों क्राइम का ग्राफ खासा बढ़ गया है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से आए दिन नेताओं की हत्या के मामले सामने आते रहे है। बीते दो दिन पहले थाना दादरी क्षेत्र के गढ़ी गांव में रहने वाले सपा नेता रामटेक कटारिया की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस को अभी तक कोई सुराख़ नहीं मिला पाया है। वहीँ, सपा नेता के भाई ने पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इससे पहले भी प्रदेश में चुनाव के बाद कई सपा नेताओं की हत्या हुई है जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार और पुलिस की लापरवाही के चलते यह वारदात हुई है।
चुनाव के बाद इन नेताओं की हुई हत्या
चुनाव परिणाम के दो दिन बाद ही अमेठी के बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। सुरेन्द्र अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी के बेहद करीबी थे। लोकसभा चुनाव के प्रचार में उन्होने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। सुरेन्द्र की हत्या के बाद सांसद स्मृति इरानी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को 12 घंटे के अंदर सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। हालांकि पुलिस ने आरोपी युवक को एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया था।
वहीं ग्रेटर नोएडा के समाजवादी पार्टी के दादरी विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष राम टेग कटारिया को अज्ञात बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी। बदमाशों ने घटना को उस वक़्त अंजाम दिया जिस समय कटारिया जब वो जारचा रोड़ पर अपने घर के सामने सीवर का काम कर रहे थे। घटना को अंजाम देने के बाल बदमाश मौके से ही फरार हो गए।
जौनपुर के सराय ख्वाजा इलाके में सपा नेता लालजी यादव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। वहीं, इस घटना की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निंदा की है और साथ ही उनके परिवार के प्रति संवेदना जाहिर की है।
इसके अलावा कई नेताओं के ऊपर हमले भी हुए है जिनमे वो बाल बाल बचे है। नोएडा के तिलपता गांव के पास अज्ञात बदमाशों ने सपा नेता बृजपाल राठी के ऊपर जानलेवा हमला किया। बदमाशों द्वारा चलाई गई गोली उनके हाथ में लगी है। जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लोकसभा चुनाव के बाद से जनपद में सपा नेताओं पर घातक हमले हो रहे हैं। इन घटनाओं के चलते समाजवादी पार्टी के नेताओं में भारी रोष है।
विधान सभा चुनाव 2017 में बीजेपी कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर यूपी में वापसी की थी। लेकिन पिछले दो साल में जिस तरह से प्रदेश में अपराध का आकड़ बढ़ा है उससे ये साफ़ जाहिर है की सूबे की सीएम योगी आदित्यनाथ अपराधियों पर लगाम लगाने में नाकामयाब शाबित हुए है।