जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है।
अदालत ने मंगलवार को यह फैसला एक पत्रकार द्वारा लगाए गए घूसखोरी के आरोप के बाद दिया है। अब सीएम पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई करेगी।
पत्रकार उमेश कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री रावत पर आरोप लगाया है कि 2016 में जब रावत भाजपा के झारखंड प्रभारी थे तब उन्होने एक व्यक्ति को गौ सेवा अयोग का अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर घूस ली थी और पैसे अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रान्सफर कराये थे।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने पत्रकार उमेश कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने का भी आदेश दिया। वहीं अब राज्य सरकार विशेष अवकाश याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाएगी।
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मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है। पूछताछ में तथ्य साफ हो जाएंगे। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंसी धर भगत ने कहा, “मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा।”
वहीं अदालत ने दो पत्रकार उमेश कुमार शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल द्वारा दायर अलग-अलग रिट याचिकाओं (आपराधिक) की सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ की गई एफआईआर को रद्द करने का भी आदेश दिया है।
इन पत्रकारों द्वारा दायर की गई याचिका में इस साल जुलाई में देहरादून के नेहरू कॉलोनी पुलिस स्टेशन में विभिन्न आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।
यह एफआईआर एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर और देहरादून के एक कॉलेज के प्रबंधक हरिंदर सिंह रावत के पुलिस से संपर्क किया जाने के बाद दर्र्ज की गई थी।
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दरअसल उमेश द्वारा जून में फेसबुक पर अपलोड किए गए एक वीडियो के खिलाफ हरिंदर सिंह रावत ने पुलिस से संपर्क किया था।
अपनी शिकायत में उमेश ने आरोप लगाया था कि हरिंदर की पत्नी सविता रावत, जो एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की पत्नी की बहन हैं। 2016 में नोटबंदी के दौरान अमृतेश सिंह चौहान नाम के एक व्यक्ति ने विभिन्न बैंक खातों में कुछ पैसे ट्रान्सफर किए थे, जो उनकी पत्नी के नाम पर थे।
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हालंाकि हरिंदर ने उमेश के सभी आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा कि उनके परिवार का सीएम के कोई संबंध नहीं है।
हरिंदर ने शिकायत में कहा कि उमेश ने अपने वीडियो में बैंक खातों में नकद जमा से संबंधित जो दस्तावेज दिखाए हैं वह फर्जी हैं। पुलिस ने पूछताछ के बाद एफआईआर दर्ज की थी। सेमवाल के समाचार पोर्टल, परवत्जन और एक अन्य पत्रकार राजेश शर्मा के मीडिया आउटलेट, क्राइम स्टोरी का नाम भी ए?आईआर में है।