जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. बच्चो के यौन शोषण का मामला राज्यसभा में गूंजा तो नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े भी पटल पर रखे गए. यह आंकड़े वास्तव में दहला देने वाले आंकड़े हैं. वर्ष 2018 से 2020 के बीच 40 हज़ार बच्चो के यौन शोषण के मामले देश के विभिन्न थानों में दर्ज किये गए.
बच्चो के यौन शोषण को गंभीर विषय मानते हुए सांसदों ने इस मामले पर शिक्षकों और छत्रों को जागरूक करने की बात कही. कहा गया कि इस विषय पर स्कूलों में नियमित तौर पर कार्यशालाएं आयोजित करने की ज़रूरत है. इस बीच द्रमुक सांसद तिरुची शिव ने एनसीआरबी द्वारा जुटाए गए बच्चो के यौन शोषण से सम्बंधित मामलों को पटल पर रखा.
सांसद तिरुची शिवा ने कहा कि संसद में तो वह मामले रखे गए हैं जो थानों तक पहुंचा दिए गए. इस तरह के अधिकांश मामले तो दर्ज भी नहीं किये जाते. उन्होंने कहा कि 2020 में कोरोना महामारी फैली हुई थी, इस वजह से इस तरह के इस तरह के मामलों में कमी आ गई थी लेकिन अब जैसे-जैसे कोरोना का असर कम हो रहा है वैसे-वैसे बच्चो से सम्बंधित अपराधों में इजाफा भी हो रहा है.
बच्चो के सम्बन्ध में संसद गंभीर हुई तो बच्चो की यह भावना भी ज़ाहिर हुई कि यौन शोषण के शिकार जो बच्चे अपनी आवाज़ भी नहीं उठा पाते उनका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता. वह पूरी ज़िन्दगी इस सदमे से उबर ही नहीं पाते. उनकी ज़िन्दगी में एक अजीब किस्म का डर बैठ जाता है जो पूरी ज़िन्दगी उन्हें परेशान करता रहता है. एक तरफ वह शारीरिक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं तो दूसरी ओर वह मानसिक रूप से भी टूट जाते हैं.
द्रमुक सांसद ने कहा कि अधिकाँश भारतीय स्कूलों के पास ऐसे हालात से निबटने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. छात्रों को भी इस सम्बन्ध में बनाए गए कानूनों की जानकारी नहीं है. यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है. बच्चो को इससे निजात दिलाने के लिए बहुत ज़रूरी है कि स्कूलों को इस सम्बन्ध में हर हाल में जागरूक किया जाए.
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