जुबिली न्यूज डेस्क
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जहां भाजपा और आम आदमी पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है तो वहीं कांग्रेस ने अभी तक एक समेकित रणनीति नहीं बना पाई है।
दरअसल कांग्रेस नेताओं का एक गुट चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी टीम के साथ गुजरात में एक चुनावी असाइनमेंट के लिए पार्टी आलाकमान के साथ बातचीत के बारे में मीडिया में अटकलों को हवा दे रहा है।
लेकिन सूत्रों ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि पीके के चुनाव प्रचार की रणनीति को संभालने की बातचीत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल फिलहाल ऊंचा रखने में मदद मिलेगी और इसलिए इन अटकलों को उत्साह के साथ हवा दी जा रही है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक, कांग्रेस के एक वरिष्ठï नेता ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर प्रदेश इकाई खुली है, लेकिन फैसला करना आलाकमान पर निर्भर है।
प्रशांत किशोर को लेकर पार्टी में कन्फ्यूजन
वैसे इस बात को लेकर हर कांग्रेस की एक राय नहीं है। गुजरात कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि पीके के गुजरात आने की बात अगर सफल नहीं हुई तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल ही टूटेगा।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी किसी भी योजना के बारे में तमाम बड़े नेताओं से राय नहीं लगाई है। उन्होंने कहा कि बड़े नेताओं के भीतर एकजुटता की कमी अब सार्वजनिक रूप से दिखने लगी है।
देरी से ले रहे निर्णय
कांग्रेस को गुजरात में राज्य समिति का पुनर्गठन करने में लगभग 2 साल लग गए और अंत में अमित चावड़ा और परेश धनानी की जगह ओबीसी नेता जगदीश ठाकोर को प्रदेश अध्यक्ष और सुखराम राठवा को पिछले साल दिसंबर में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया गया।
चावड़ा और धनानी ने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने से पहले तीन चुनावी हार के बाद कम से कम तीन बार अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।
आजादी गौरव यात्रा के पोस्टर से राष्ट्रपिता गायब
छह अप्रैल को कांग्रेस सेवा दल ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दिल्ली के राजघाट तक एक पैदल मार्च, आजादी गौरव यात्रा की शुरुआत की।
दरअसल रास्ते में जो पोस्टर लगाए गए उनमें ठाकोर, राठवा और राज्य पार्टी प्रभारी रघु शर्मा के साथ केवल सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चेहरे शामिल थे, लेकिन मार्च साबरमती आश्रम से शुरू हुआ और गांधीनगर जाने वाले रास्ते के किसी भी पोस्टर पर महात्मा गांधी की तस्वीर तक नहीं थी।
इस पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते हैं, “यह कांग्रेस के लिए लोगों को यह याद दिलाने का मौका था कि इस पार्टी ने स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के बाद भारत के विकास में कितना बड़ा योगदान दिया है। जब वे (कांग्रेस) इस बात का रोना रोते हैं कि बीजेपी सरदार पटेल और महात्मा गांधी को हड़प रही है तो उनके पास भी लोगों को वास्तविकता की याद दिलाने का अवसर था। वे राहुल गांधी की तस्वीर डालते हैं, जो पिछले समय से कांग्रेस की चुनावी हार का पर्याय बन गए हैं।”
उन्होंने कहा, “रघु शर्मा कौन हैं और कितने गुजराती उन्हें जानते हैं? इस मामले में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में राहुल गांधी या सोनिया गांधी की क्या भूमिका है? तथाकथित ‘आजादी गौरव यात्रा’ के लिए उन्हें पोस्टर में जगह देना केवल पारिवारिक शासन के भाजपा के आरोप को पुष्ट करता है।”