जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को एक बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बिहार सरकार पर गंगा नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आदेशों का पालन न करने और आवश्यक सहायता न देने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगले आदेश तक, इस विवादित आदेश पर रोक रहेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब देने को कहा है।
क्या था NGT का आदेश?
यह मामला गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित है। पिछले साल अक्टूबर में, एनजीटी ने आदेश दिया था कि बिहार सरकार और राज्य के संबंधित अधिकारियों ने गंगा नदी के प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। न्यायाधिकरण ने बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि वह जल नमूना विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करें, खासकर उन स्थानों से जहां गंगा नदी और उसकी सहायक नदियां मिलती हैं। इसके अलावा, NGT ने राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का आदेश दिया था ताकि गंगा नदी के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों पर प्रगति रिपोर्ट दी जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश को स्थगित करते हुए कहा कि यह मामला गंगा नदी के प्रदूषण नियंत्रण के मुद्दे पर विचार किया जा रहा है, और इसे राज्यवार देखा जा रहा है, जिसमें वे सभी राज्य और जिले शामिल हैं, जहां से गंगा और उसकी सहायक नदियां बहती हैं। कोर्ट ने कहा कि पहले भी बिहार में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता पर विचार किया गया था और राज्य सरकार को रिपोर्ट जमा करने के लिए निर्देशित किया गया था।
ये भी पढ़ें-पप्पू यादव ने कंगना से ऐसा क्या मांगा तस्वीर हो रही वायरल
कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार सरकार को इस मामले में राहत मिली है, हालांकि कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब देने को भी कहा है, जिससे यह मामला आगे बढ़ेगा।