जुबिली न्यूज डेस्क
मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ देश्भर के किसान दिल्ली बार्डर पर पिछले 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं और केंद्र सरकार उनकी मांगे मानने को तैयार नहीं है।
किसानों के इस आंदोलन के बीच कर्नाटक विधान परिषद ने भूमि सुधार (संशोधन) कानून पारित कर दिया है। इस काननू के तहत अब राज्य में कोई भी किसानों से उनकी जमीन खरीद पाएगा।
कर्नाटक विधान परिषद में इस विधेयक के पक्ष में 37 वोट डाले गए और विरोध में सिर्फ 21, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी के पास इस विधेयक को पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या-बल नहीं था, बावजूद इसके विपक्ष में बैठी जेडीएस ने सरकार का साथ दिया और उसके 10 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया।
हालांकि कांग्रेस के नौ सदस्य अनुपस्थित रहे।
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75 सदस्यों की विधान परिषद में बीजेपी के पास 31 सीटें हैं, कांग्रेस के पास 28 और जेडीएस के पास 14 सीटें।
बीजेपी ने सितंबर माह में कांग्रेस के विरोध के बीच विधान सभा से पारित करा लिया था। कांग्रेस सदस्यों ने तब सभा में कागजात फाड़ दिए थे और सदन से बाहर चले गए थे।
अब इस नए कानून से कर्नाटक में कृषि भूमि की खरीद पर से लगभग सभी तरह के प्रतिबंध हट जाएंगे। अब कोई भी व्यक्ति या कंपनी किसानों से सीधे जमीन खरीद सकती है, जो अभी तक राज्य में संभव नहीं था।
कर्नाटक भूमि सुधार कानून, 1961 के तहत राज्य में कृषि भूमि सिर्फ किसान ही खरीद सकते थे और वो ही जिनकी सालाना आय दो लाख रुपयों से कम हो।
इन प्रावधानों में संशोधन लाते हुए राज्य सरकार ने जुलाई में ही अध्यादेश जारी कर दिया था। सरकार अब जाकर अध्यादेश को कानून में बदल पाई है।
बीजेपी सरकार का कहना है कि जिन प्रावधानों को हटाया गया है उनकी वजह से भूमि बेचने के इच्छुक किसान ऐसा कर नहीं पा रहे थे और जमीन की बिक्री के लिए भूमि रजिस्ट्रार और तहसीलदार के दफ्तरों में सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ रहा था।
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वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि नया कानून किसानों के लिए नुकसानदेह है क्योंकि इससे अब बड़ी कंपनियों के लिए किसानों को डरा-धमका कर जबरदस्ती उनकी जमीन खरीदना आसान हो जाएगा।
राज्य के अधिकांश किसान भी नए कानून से नाराज हैं और इसके खिलाफ बेंगलुरु में प्रदर्शन कर रहे हैं।