Friday - 25 October 2024 - 10:06 PM

कोरोना काल में CM योगी की ये कोशिश ला रही है रंग

  • मनरेगा में रोजगार पाने वालो ग्रामीणों की लगातार बढ़ रही संख्या 
  • 14 दिनों में मनरेगा में काम पाने वाले ग्रामीणों की संख्या 7,27,477 बढ़ी

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से लोगों को बचाने के साथ ही सूबे की योगी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत गांवों ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने पर भी ध्यान दे रही हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि वर्तमान समय में सूबे के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग कोरोना से बचने के लिए रोजगार की तलाश में शहर ना आएं। ग्रामीणों को उनके गांव में ही सरकार रोजगार मुहैया करायेगी।

मुख्यमंत्री की इस मंशा को जानने के बाद अब गांव में जल संरक्षण संबंधी कार्य मनरेगा के तहत कराए जाने लगे हैं। दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों को भी ग्राम पंचायतों में तालाब, सड़क, पटरी, नाली आदि की खुदाई के कार्य में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। सरकार के प्रयास के चलते ही अब हर दिन मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों में काम पाने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

क्या कहते है आंकड़े

ग्राम विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गत 14 अप्रैल को सूबे के 74 जिलों में 9,51,583 ग्रामीण मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य कर रहे थे। जबकि गत एक अप्रैल को मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य करने वाले ग्रामीणों की संख्या 2,24,106 थी।

मात्र 14 दिनों में मनरेगा में कार्य करने वाले ग्रामीणों की संख्या में 7,27,477 का इजाफा हुआ। इसके लेकर यह कहा जा रहा है कि ग्रामीणों को उनके गांवों के समीप ही रोजगार मुहैया कराने संबंधी प्रदेश सरकार की सोच के चलते मनरेगा में काम पाने वाले ग्रामीणों की संख्या में इजाफा हुआ है।

बीते साल भी जब कोरोना का संक्रमण शुरु हुआ था, तब भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर मनरेगा ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने में सहारा बनी थी।

मजदूरों को रोजगार देने के लिए  ये थी योजना 

बीते साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद बड़ी संख्या में शहरों से गांव पहुंचे मजदूरों को रोजगार देने के लिए योगी सरकार एक योजना लेकर आई थी। इसके तहत तालाब, चेक डैम के निर्माण के साथ नदियों की सफाई का काम बड़े पैमाने पर शुरू कर मजदूरों के लिए रोजगार पैदा किया गया था।

तब केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया था कि 20 अप्रैल के बाद राज्य में मनरेगा योजनान्तर्गत कन्टेनमेन्ट क्षेत्र के बाहर कई कार्य प्रारम्भ किए जाएंगे।

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इस संबंध में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा एक आदेश जारी किया गया। इस आदेश में यह कहा गया था कि कोविड-19 के कारण बडी संख्या में शहरों से ग्रामीण परिवारों की वापसी हुई है।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य दैनिक रोजगार परक गतिविधियों में संलग्न ग्रामीण परिवारों के समक्ष भी भरण पोषण की समस्या की संभावना उत्पन्न हुई है।

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ऐसे में शहरों से गांव वापस आये परिवार और गांव में रह रहे लोगों के परिवार यदि मनरेगा योजना के तहत कार्य करना चाहता है, तो उसे तत्कात जॉब कार्ड निर्गत कराया जाएगा। यदि शहर से लौटे किसी व्यक्ति का नाम परिवार के जॉबकार्ड मे नहीं है तो उसका नाम जॉब कार्ड में जोड़े जाने की तत्काल कार्यवाही की जायगी।

इसी आदेश के तहत अब फिर से राज्य के हर जिले में ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए जल संरक्षण से जुडी योजनाओं को शुरु किया गया है। बाहर से गांव में आये लोगों के तथा मनरेगा योजनाओं में कार्य करने के इच्छुक लोगों के जॉबकार्ड बनाए जा रहे हैं।

और जॉबकार्ड धारक ग्रामीणों को मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य दिया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य के अधिकांश जिलों में बड़ी संख्या में गांव -गांव में तालाब बनाए जा रहे हैं।

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बुंदेलखंड और विन्ध्य क्षेत्र में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक सिंचाई कूपों का निर्माण के साथ चेकड़ैम एवं फार्म पांड का निर्माण कार्य किया जाने लगा है। कई जिलों में वर्षा जल संरक्षण हेतु भूगर्भ जल संचयन स्ट्रक्चरों का निर्माण कार्य हो रहा है।

तालाबों की सिल्ट सफाई संबंधी कार्य में भी ग्रामीणों से कराया जा रहा है। इसके अलावा सिंचाई गुलों नहरों की सफाई से संबंधित कार्य के साथ वृक्षारोपण के लिए अग्रिम मृदा कार्य भी ग्राम रोजगार सेवकों की देख रेख में ग्रामीणों से करवाए जा रहें हैं।

चारागाह विकास से सम्बन्धित कार्य भी करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा कई छोटी नदियों के पुनरोद्धार संबंधी कार्य भी ग्रामीणों की मदद से जल्दी शुरु किए जाने की योजना है।

इस कार्य में बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। फिलहाल मनरेगा में रोजगार मुहैया कराने संबंधी सरकार के प्रयास से ग्रामीणों को उनके घर के नजदीक रोजगार मिल रहा है, जिसके चलते कोरोना संकट के इस समय में ग्रामीण अब शहर की ओर पलायन नहीं कर रहे हैं। और सरकार के प्रयास से घर के नजदीक ही रोजगार पा रहे हैं।

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