Tuesday - 29 October 2024 - 10:28 AM

पेगासस मामले में सीजेआई ने कहा- अगर रिपोर्ट सही तो आरोप सच में गंभीर

जुबिली न्यूज डेस्क

पिछले कुछ दिनों से जिस पेगासस जासूसी मामले को लेकर संसद से लेकर सड़़क तक हंगामा मचा हुआ है, उस पर आज सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई शक नहीं कि आरोप गंभीर हैं।

काग्रेस नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले को गंभीर बताते हुए मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई कि केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जाए। फिलहाल, शीर्ष अदालत अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगा।

पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं और इन याचिकाओं में पेगासस जासूसी कांड की कोर्ट कि निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है।

याचिका दाखिल करने वालों में राजनेता, एक्टिविस्ट, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम और शशि कुमार शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ इसकी सुनवाई कर रही है।

अदालत में सुनवाई में क्या-क्या हुआ ? 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिका की प्रति केंद्र को दें। अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा।

याचिकाकर्ता पत्रकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दत्तर ने कहा कि संपूर्ण और व्यक्तिगत गोपनीयता के रूप में नागरिकों की गोपनियाता पर विचार किया जाना चाहिए।

वहीं पेगासस जासूसी कांड पर याचिकाकर्ता शिक्षाविद् जगदीप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने अदालत से कहा कि वर्तमान मामले की भयावहता बहुत बड़ी है और कृपया मामले की स्वतंत्र जांच पर विचार करें।

याचिकाकर्ता एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने देश के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि मैं और हम सभी चाहते हैं कि आप केंद्र सरकार को नोटिस जारी करें।

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कपिल सिब्बल ने अदालत को दलील दी कि पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, संवैधानिक प्राधिकरण, अदालत के अधिकारी, शिक्षाविद सभी स्पाइवेयर द्वारा टारगेटेड हैं और सरकार को जवाब देना होगा कि इसे किसने खरीदा? हार्डवेयर कहां रखा गया था? सरकार ने स्नढ्ढक्र क्यों नहीं दर्ज की?

वहीं पेगासस कांड पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि साल 2019 में जासूसी की खबरें आई थीं। मुझे नहीं पता कि अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कोई प्रयास किया गया या नहीं। मैं हरेक मामले के तथ्यों की बात नहीं कर रहा, कुछ लोगों ने दावा किया है कि फोन इंटरसेप्ट किया गया है। ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ अधिनियम है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में कहा कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है।

सिब्बल ने आगे कहा कि पेगासस एक दुष्ट अथवा कपटी तकनीक है, जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है।

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मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया है कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए।

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इसके अलावा जनहित याचिका में यह मांग भी की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह बताए कि आखिर उसने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने का आदेश लिया है या नहीं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मिलिट्री स्पायवेयर है और इसका आम नागरिकों पर इस्तेमाल होना स्वीकार नहीं किया जा सकता।

कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि इस तरह की जासूसी निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे संविधान के आर्टिकल 14 में मूल अधिकार बताया गया है। इसके अलावा अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का भी यह हनन है।

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